छठ पर्व के प्रति लोगों की आस्था और विश्वास का नजारा आप पूरी दुनिया में देख सकते हैं। आस-पास नदी, तालाब नहीं होने पर लोग घर के छत पर टब रखकर या आंगन में खड्डा खोदकर पानी भर लेते हैं और सूर्य को अर्घ्य देते हैं।
छठ पर्व के बारे में माना जाता है कि यह पर्व संतान सुख प्रदान करने वाला है। इस पर्व की एक कथा के अनुसार सूर्य की बहन षष्ठी देवी नवजात बच्चों की रक्षा करती है। इसलिए माताएं इस पर्व को अपनी संतान की लंबी उम्र और उन्नति के लिए व्रत रखती हैं।
छठ व्रत का संबंध सूर्य से भी है। सूर्य को प्राण का कारक और ब्रह्माण्ड में प्रत्यक्ष देवता माना जाता है। इनकी उर्जा से मौसम चक्र चलता है। इसलिए इनकी प्रसन्नता सृष्टि को बनाए रखने के लिए जरूरी है। इसलिए छठ पर्व पर सूर्य की पूजा होती है।
छठ पर्व को लेकर ऐसी मान्यता है कि इस पर्व में सूर्य और षष्ठी माता से जो भी मन्नत मांगी जाती है वह साल भर के अंदर पूरी होती है। इसलिए श्रद्धालु बड़े ही विश्वास और नियम निष्ठा से यह व्रत रखते हैं।
ऐसी मान्यता है कि अंगराज कर्ण जो सूर्य के पुत्र और भक्त थे उन्होंने सूर्योपासना एवं छठ व्रत से राज्य और वैभव प्राप्त किया था उन्होंने ही छठ व्रत की परंपरा शुरु की थी। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत से पुरुषों को बल और वैभव की प्राप्ति होती है। इसलिए छठ व्रत पुरुष भी रखते हैं। छठ व्रत में जल में खड़े होकर सूर्य की उपासना की जाती है। माना जाता है कि इस तरह सूर्य की उपासना करने से आरोग्य सुख की प्राप्ति होती है।