बिलासपुर: बर्खास्त सिपाही राकेश यादव द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने कहा है कि पुलिस कर्मियों को साप्ताहिक अवकाश देना जनहित में उचित नहीं है। इससे प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति को संभालना मुश्किल हो जाएगा । डिवीजन बेंच ने इसके साथ ही जनहित याचिका को निराकृत कर दिया है।
बर्खास्त सिपाही राकेश यादव ने अपने वकील के जरिए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर साप्ताहिक अवकाश के अलावा अन्य सुविधाओं के साथ ही महासमुंद थाना में पदस्थ एसडीओपी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की थी।
याचिकाकर्ता ने महासमुंद थाना में पदस्थ दो सिपाही महेंद्र जांगड़े व जय सिंह राजपूत के ऊपर उग्र भीड़ द्वारा जानलेवा हमला करने की जानकारी देते हुए कहा था कि किसी प्रकरण में भीड़ नारेबाजी करते थाना परिसर की ओर बढ़ रही थी। उग्र भीड़ ने थाना का घेराव कर दिया।
उस वक्त दोनों सिपाही ड्यूटी में तैनात थे लिहाजा भीड़ को थाना क्षेत्र से बाहर जाने व नारेबाजी न करने से मना कर रहे थे। इसी बीच लोगों ने दोनों सिपाहियों को पकड़कर पिटाई कर दी । थाना में मौजूद एसडीओपी सिपाहियों को छुड़ाने के बजाय भीड़ के साथ मिलकर खुद ही दोनों सिपाहियों को पिटने लगे थे।
याचिकाकर्ता ने आरक्षकों को भीड़ से बचाने के बजाय लोगों के साथ मिलकर पिटने वाले एसडीओपी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की थी। आज इस मामले की सुनवाई डिवीजन बेंच में हुई। सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने याचिका को निराकृत कर दिया व साथ ही यह भी कहा कि पुलिस कर्मियों को साप्ताहिक अवकाश देना कानून व्यवस्था के लिहाज से उचित नहीं होगा। ऐसा करना जनहित में भी नहीं है।
पुलिस कर्मियों को साप्ताहिक अवकाश व अन्य सुविधाओं की मांग को लेकर आरक्षक राकेश यादव की अगुवाई में पुलिस परिवार ने प्रदेश के साथ ही जिले में भी राज्य शासन के निर्देशों की खिलाफत की थी। पुलिस अधीक्षक ने कड़ी कार्रवाई करते हुए राकेश यादव व एक अन्य आरक्षक को बर्खास्त कर दिया था।
साथ ही पुलिस परिवार के आंदोलन को सख्ती से कुचल दिया था। नेहरु चौक पर धरना प्रदर्शन के दौरान पुलिस परिवार के सदस्यों की गिरफ्तारी भी की गई थी। पुलिस प्रशासन की सख्ती के चलते आंदोलन की हवा निकल गई थी ।