संशोधित नागरिकता कानून (CAA) के विरोध में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ की अगुवाई में 25 दिसंबर को राजधानी भोपाल में आयोजित प्रदर्शन पर भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान ने रविवार को निशाना साधा।
सीएए के समर्थन में यहां भाजपा की ओर से आयोजित “आभार सम्मेलन” में शिवराज ने कहा, “कमलनाथ बोल रहे हैं कि सीएए के खिलाफ वह खुद जुलूस निकालेंगे। उन्हें नहीं भूलना चाहिये कि वह मुख्यमंत्री के संवैधानिक पद पर हैं। वह उस सीएए के विरोध में सड़क पर उतरने की बात कर रहे हैं जो संवैधानिक प्रक्रिया के तहत संसद के दोनों सदनों से पारित होने के बाद कानून बना है।”
सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, “अगर कमलनाथ को सीएए का विरोध करना ही है, तो इससे पहले वह मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ दें। क्या वह सीएए के खिलाफ प्रदर्शन के जरिये सूबे की फिजा खराब करना चाहते हैं?”
शिवराज ने कहा, ” सीएए का विरोध मेरी समझ से परे है। कांग्रेस को वोट बैंक की राजनीति छोड़कर इंसानियत की बात करनी चाहिये।”
प्रदेश विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता गोपाल भार्गव ने सीएए का विरोध कर रहे लोगों पर निशाना साधते हुए सम्मेलन में कहा, “भारतवर्ष एक देश है। भारतवर्ष कोई धर्मशाला नहीं है कि (देश के बाहर का) कोई भी व्यक्ति किसी मस्जिद या आश्रयस्थल में रहना शुरू कर दे।”
भार्गव ने कहा कि सीएए के जरिये नरेंद्र मोदी सरकार ने पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से शरणार्थियों के छद्म रूप में आने वाले उन लोगों पर अंकुश लगा दिया है जिनका असल मकसद आतंकवाद और जासूसी सरीखी भारतविरोधी गतिविधियों में शामिल होना होता है।
उधर, सीएए को लेकर कमलनाथ सरकार पर भाजपा नेताओं के हमलों का जवाब देते हुए राज्य के लोक निर्माण विभाग मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने यहां संवाददाताओं से कहा, “राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) और सीएए की आड़ में भाजपा नेता एक साजिश के तहत देश को धार्मिक आधार पर बांटना चाहते हैं।”
वर्मा ने चुनौती दी कि अगर भाजपा एनआरसी और सीएए के समर्थन में बात करना चाहती है, तो उसके आला नेता इस विषय में असम और पूर्वोत्तर के अन्य सूबों में सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित करके दिखायें।