खंडवा। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की जन आशीर्वाद यात्रा के पहले जिले में भाजपाई ऐब ढांकने में लग गए हैं। सभी विभागों को सरकारी निर्देश जारी हो रहे हैं कि उन्हें क्या करना है? कई दुधारू विभागों के अफसर इसलिए भी कंपकंपा गए हैं कि पिछली नर्मदा यात्रा की तरह कुछ नेता उनके पास चल्द पहुंचने वाले हैं। जिम्मेदारियाँ भी सबकी तय की जा रही है। पार्टी के कुछ पदाधिकारी तो नेताओं को भी बता रहे हैं कि किसे और किस तरह के विज्ञापन दें। कौन फ्लेक्स बनवाएगा?
कुल मिलाकर मुख्यमंत्री को रात में 9 बजे के बाद खंडवा लाया जाएगा। सिविल लाईन में पं.दीनदयाल उपाध्याय की मूर्ति का अनावरण कराया जाएगा। इसके बाद सुबह 9 बजे सर्किट हाऊस में पत्रकार वार्ता भी होगी, लेकिन स्थानीय नेता व बड़े पदाधिकारी इसे टालने की जुगत में हैं। पिछले एक सप्ताह से जन आशीर्वाद यात्रा की सामग्री वाले चलित घर सेंट्रल स्कूल के पास ढाबे पर खड़े हैं। इनमें जिनकी ड्यूटी लगी है, वे भी परेशान हो चुके हैं। आपको पता है कि एक सप्ताह के लिए अटलजी के निधन के बाद इस यात्रा को टाल दिया गया था।
यह यात्रा तो कुछ पदाधिकारियों के चांदी काटने जैसा त्यौहार बनकर आई है। अफसर इसलिए भी परेशान हैं कि नर्मदा यात्रा, कावड़ यात्रा और अब जन आशीर्वाद यात्रा का कथित बोझ कै से संभालें? मसला गंभीर है, कलेक्टर ने भी चुनाव आयोग की तैयारी व पिछड़े जिले की श्रेणी से खंडवा को उबारने के लिए अफसरों पर शिकंजा कसा है। इस पर इन यात्राओं का टेंशन व राजनीतिज्ञों को खुश रखना भी उनकी मजबूरी है।
शिवसेना के जिला प्रमुख गणेश भावसार ने कहा कि मुख्यमंत्री 13 साल से हैं। 2 साल उमाभारती व बाबूलाल गौर के रहे। मतलब 15 साल भाजपा ने राज किया। खंडवा से मंत्री भी विजय शाह को बनाया। सब खूब फले-फूले। नंदकुमारसिंह चौहान ने भी राजनीतिक ऊंचाईयाँ छुईं। जिले में सांसद से लेकर गांव की पंचायत का मेंबर तक भाजपा का ही लोगों ने चुना। सब जगह भाजपा की सत्ता के बावजूद खंडवा जिला क्यों नीति आयोग की नजर में गिर गया। मतलब यहाँ सरकार की योजनाएं कौन हड़प गया? किसकी जेब में पैसा गया? मुख्यमंत्री को इस पर जवाब देना चाहिए। 15 साल में जिले के विकास का ग्राफ तेजी से गिरा है।
@नदीम रॉयल /गोपाल गीते