चीन में फुटबाल क्लबों ने इस साल शुक्रवार को खत्म हुए स्थानानंतरण सत्र में सबसे ज्यादा पैसा खर्च किया है। लेकिन क्या इतना पैसा चीन फुटबाल में बदलाव ला सकता है? सीएसएल के क्लब शंघाई एसआईपीजी के कोच गोरान के मुताबिक, “अगर सारा पैसा विदेशी खिलाड़ियों पर खर्च कर दिया जाएगा तो इससे चीन के फुटबाल को ज्यादा मदद नहीं मिलेगी। हर खिलाड़ी खर्च किए गए पैसे के बराबर नहीं है।” “चीन के फुटबाल को सुधार की जरूरत है। हमें ऐसे खिलाड़ी चाहिए जो विदेश में खेल सकें। अगर हम यह कर सकते हैं तो हो सकता है कि हमें महंगे खिलाड़ी खरीदने की जरूरत न पड़े।”
चीन के क्लबों ने इस बार चेल्सी के पूर्व मिडफील्डर रामिरेस, अर्जेटीना के अजेक्वीएल लावेजी, गेरविन्हो, फ्रेडी गुआरिन, जैक्सन मार्टिनेज, कैमरून स्टेफान म्बिअ को ऊंची कीमतों पर खरीदा है।
2016 में चीन ने खिलाड़ियों पर चार गुना खर्च कर रिकार्ड कायम किया है। जिआंगसु सुनिनंग ने एलेक्स टिएक्सेरा को 1.5 करोड़ यूरो में खरीदा। चीन सुपर लीग (सीएसएल) का नया सत्र चार मार्च से शुरू हो रहा है।
सीएसएल ने इस बार कुल 31.7 करोड़ यूरो खत्म कर प्रीमियर लीग को पीछे छोड़ दिया है। यहां तक कि चीन की दूसरी श्रेणी की लीग ने खिलाड़ियों को खरीदने के मामले में जर्मनी की बुंदेसलीगा लीग, स्पेन की ला लीगा और फ्रांस की लीग 1 को पीछे छोड़ दिया है। इंग्लैड के पूर्व कोच स्वेन गोरन एरिक्सन का मानना है कि यूरोप के खिलाड़ियों को आकर्षित करने के लिए पैसे बहुत महत्वपूर्ण हैं।
गोरान जोकि इस समय सीएसएल के क्लब शंघाई एसआईपीजी के कोच हैं, ने कहा, “मैं 90 के दशक में इटली में रहा क्योंकि वहां अच्छी फुटबाल हो रही थी। इसके बाद मैं 2000 के दशक में इंग्लैंड गया। उस समय सभी खिलाड़ी प्रीमियर लीग में खेलना चाहते थे क्योंकि वहां पैसा और अच्छी फुटबाल हो रही थी।”
उन्होंने कहा, “2016 में ऐसा लगता है कि सभी लोग चीन आना चाहते हैं क्योंकि यहां पैसा है।” वहीं मैनचेस्टर सिटी के पूर्व खिलाड़ी सुन जिहाई का मानना है कि पैसे से चीन फुटबाल मशहूर हो सकता है लेकिन हर चीज सही हो यह मुमकिन नहीं है।
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