श्रीनगर: 12 जून को जम्मू कश्मीर के अनंतनाग में आतंकी हमला हुआ था। सीआरपीएफ को निशाना बनाकर किए गए इस हमले में पांच सीआरपीएफ जवान और जम्मू कश्मीर पुलिस के ऑफिसर शहीद हो गए थे। बताया जा रहा है कि इस हमले में आतंकियों ने चीन में बनी स्टील की गोलियों का प्रयोग किया था। ये गोलियां, बुलेट प्रूफ जैकेट्स को चीरते हुए निकल गईं और इन्होंने जवानों की जान ले ली। इस हमले में जम्मू कश्मीर पुलिस के ऑफिसर एसएचओ अरशद अहमद खान बुरी तरह से घायल हो गए थे और बाद में इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया।
रिपोर्ट्स में कहा गया है कि इन बुलेट्स का प्रयोग ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाने के मकसद से हुआ था। अभी तक इस तरह की गोलियों का प्रयोग जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी करते थे। अनंतनाग हमले की जिम्मेदारी अल उमर मुजाहिद्दीन ने ली थी। इस हमले के बाद माना जा रहा है कि पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों के पास स्टील कवर वाली ऐसी गोलियों की भरमार है और आतंकियों को आसानी से ये गोलियां उपलब्ध हैं। जिन रिपोर्ट्स में इस तरह के दावे किए गए हैं, उनमें सीआरपीएफ के कई सीनियर ऑफिसर्स का हवाला दिया गया है।
इन ऑफिसर्स की तरफ से भी इसकी पुष्टि की गई है। हमले के दौरान सीआरपीएफ के जवान बुलेट प्रूफ जैकेट्स पहने हुए थे लेकिन चाइनीज गोलियों की वजह से जैकेट्स भी उनकी रक्षा नहीं कर सकीं। जवान हमले में बुरी तरह से घायल हो गए। अधिकारियों की ओर से कहा गया है कि साल 2017 में आखिरी बार इस तरह की गोलियों का प्रयोग देखा गया था।
उस समय जैश के आतंकियों ने पुलवामा और लेतपोरा इलाके में स्थित पुलिस लाइन में सीआरपीएफ कैंप पर हमला किया था। दोनों ही बार इस तरह की गोलियों का प्रयोग आतंकियों ने किया था। खास बात है कि साल 2018 में चीनी गोलियों को आतंकियों ने बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं किया था। 12 जून को अनंतनाग के पर जनरल बस स्टैंड पर सीआरपीएफ की पेट्रोलिंग पार्टी पर शाम करीब पांच बजे हमला हुआ था।
हमले में 116 बटालियन को निशाना बनाया गया। आतंकियों ने सीआरपीएफ के जवानों पर अंधाधुंध गोलियां चलाई थीं। सुरक्षाबलों ने हमले में एक आतंकी को ढेर करने में सफलता पाई थी जबकि एक आतंकी भाग निकला था। घाटी में पुलवामा आतंकी हमले के चार माह बाद फिर से सीआरपीएफ को निशाना बनाया गया था। खास बात है कि हमला ऐसे समय हुआ जब कुछ ही दिनों के बाद अमरनाथ यात्रा शुरू होने वाली है। चीनी गोलियों के प्रयोग की खबरों ने सुरक्षा एजेंसियों की चिंताओं में इजाफा कर दिया है। सुरक्षाबलों के पास अभी तक ऐसी बुलेट प्रूफ नहीं हैं जो उन्हें स्टील कोटेड गोलियों से बचा सकें। वहीं, छोटे आतंकी संगठन भी इन गोलियों का यूज कर रहे हैं और यह बात भी काफी परेशान करने वाली है।