चीन की आक्रामक गतिविधियों के मद्देनजर भारत ने अपने नौसैनिक बेड़े को अत्याधुनिक बनाने तथा परमाणु शक्ति से लैस करने के लिए छह और परमाणु पनडुब्बी बनाने का महत्वाकांक्षी मिशन शुरू किया है।
नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने आज यहां वार्षिक संंवाददाता सम्मेलन में कहा कि क्षेत्र में पारंपरिक और गैर पारंपरिक चुनौतियों को देखते हुए स्थिति पर निरंतर नजर बनाये रखने तथा उससे निपटने के कदम उठाये जाने की जरूरत है।
भारतीय युद्धपोत हिन्द महासागर में आने -जाने के अदन की खाड़ी से लेकर मलक्का जल डमरू मध्य और सुंडा तथा लुंबोक जल डमरू मध्य तक के सभी रास्तों पर 24 घंटे नजर बनाये रखते हैं।
भारत ने ऐटमी ताकत से लैस 6 पनडुब्बियां बनाने का प्रोग्राम शुरू कर दिया है, जिससे हिंद महासागर में चीन पर काबू रखने में मदद मिलेगी। नेवी चीफ सुनील लांबा ने बताया है कि इस प्रॉजेक्ट की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, लेकिन रणनीतिक महत्व के कारण इस बारे में और जानकारी नहीं दी जा सकती है। भारत के पास फिलहाल 2 परमाणु पनडुब्बियां हैं- आईएनएस चक्र और आईएनएस अरिहंत। चक्र को रूस से लीज पर लिया गया है। रक्षा जानकार पनडुब्बियों के मामले में चीन को भारत से आगे मानते हैं।
नेवी चीफ ने दिल्ली में शुक्रवार को पत्रकारों के सवालों के जवाब में हिंद महासागर में चीन से मिल रही चुनौतियों का भी जिक्र किया। समुद्री डकैती रोकने के नाम पर चीनी पनडुब्बियों की गश्त को अजीब मानते हुए नेवी चीफ ने कहा कि हमने इन पनडुब्बियों से खतरे पर गौर किया है।
2013 से चीनी पनडुब्बियां साल में 2 बार आती हैं। यह पैटर्न अब भी कायम है। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट पर अगर भविष्य में चीनी नौसेना के जहाज आते हैं तो यह खतरा होगा।
हाल में सिंगापुर से नौसैनिक करार के बाद उन्होंने बताया कि कई और देशों से लॉजिस्टिक सुविधा के लिए इस तरह के करार की बातचीत चल रही है, लेकिन इस करार को चीन से नहीं जोड़ा जा सकता।
हिंद महासागर क्षेत्र में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच गठजोड़ बनने पर नेवी चीफ ने कहा कि हम देखेंगे कि यह आगे कैसे विकसित होता है। भारत, अमेरिका और जापान के बीच होने वाले मालाबार अभ्यास में ऑस्ट्रेलिया के जुड़ने के सवाल पर कहा कि यह अभी मौजूदा रूप ही कायम रहेगा।
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Chinese warships at Gwadar would be a matter of concern Navy Chief Admiral Sunil Lanba