नोटबंदी से कुछ महीने पहले तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के कई मंत्रियों के पास काफी मात्रा में कैश था। यह बात कॉमनवेल्थ ह्मूमन राइट्स इनिश्येटिव ने अपनी रिपोर्ट में कही है। रिपोर्ट द्वारा किया जा रहा दावा उस जानकारी के बलबूते है जो मंत्रियों द्वारा सालाना प्रधानमंत्री कार्यालय को दी जाती है।
दरअसल मंत्रियों के लिए बने हुए कोड ऑफ कंडक्ट के हिसाब से उन्हें अपनी जायदाद, नकदी का ब्योरा सालाना तौर पर प्रधानमंत्री को देना होता है। हालांकि मोदी सरकार के 76 में से 40 ही मंत्रियों ने यह बताया कि उनके पास कितना पैसा नकद में मौजूद है।
CHRI की रिपोर्ट के अनुसार, 31 मार्च 2016 को सबसे ज्यादा पैसा केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली से पास था। उनके पास 65 लाख रुपए से ज्यादा की नकदी थी। वहीं राज्य मंत्री श्री प्रसाद येसो नायक और हंसराज अहीर उनके बाद दूसरे और तीसरे नंबर पर थे।
नायक के पास 22 लाख रुपए नकद थे और अहीर के पास 10 लाख रुपए। अंग्रेजी अखबार द हिंदू के मुताबिक, 23 मंत्री ऐसे थे जिनके पास दो लाख से कम की नकदी थी। वहीं 15 ऐसे थे जिनके पास 2.5 लाख रुपए थे। परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, जल मंत्री ऊमा भारती ने डीलेट नहीं दी थी।
नोटबंदी के फैसले के बाद नरेंद्र मोदी ने पार्टी के सभी विधायकों और सांसदों से 8 नवंबर से 31 दिसंबर तक की बैंक डीटेल मांगी थी। सारी बैंक डीटेल अमित शाह को देने के लिए कहा गया है। सारी जानकारी 1 जनवरी तक जमा करवानी है।
हालांकि, विपक्ष ने मोदी के इस फैसले पर सवाल खड़े किए थे। विपक्षियों द्वारा कहा गया था कि अगर डीटेल लेनी ही है तो 8 नवंबर से पहले ही लेनी चाहिए और नेताओं के साथ उनके रिश्तेदारों की भी डीलेट ली जानी चाहिए। बीजेपी ने बिहार की कुछ जगहों पर नोटबंदी से कुछ दिन पहले जमीन खरीदी थी। उन सौदों पर विपक्ष द्वारा सवाल खड़े किए गए थे। कहा गया था कि वह जमीन काले धन से खरीदी गई है।
गौरतलब है कि मोदी सरकार ने 8 नवंबर को नोटबंदी का एलान किया था। बताया गया था कि 30 दिसंबर के बाद से 500 और 1000 रुपए के नोट चलन से बाहर हो जाएंगे। इसके साथ ही 500 और 2000 रुपए के नए नोट को लाने की भी बात कही गई थी।