गुवाहाटी: नागरिकता (संशोधन) विधेयक के खिलाफ छात्र संगठनों की तरफ से संयुक्त रूप से बुलाया गया 11 घंटे का बंद मंगलवार सुबह पांच बजे शुरू हो गया। पूर्वोत्तर छात्र संगठन (एनईएसओ) ने इस विधेयक के खिलाफ शाम चार बजे तक बंद का आह्वान किया है। कई अन्य संगठनों और राजनीतिक दलों ने भी इसे अपना समर्थन दिया है। इस बंद के आह्वान के मद्देनजर असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। नगालैंड में चल रहे हॉर्नबिल महोत्सव की वजह से राज्य को बंद के दायरे से बाहर रखा गया है।
Assam: Shops closed in Guwahati following a 12-hour ‘bandh’ call by North East Students’ Organisation (NESO) and All Assam Students’ Union (AASU) against #CitizenshipAmendmentBill which was passed in Lok Sabha, yesterday. pic.twitter.com/LMM3DGflnH
— ANI (@ANI) December 10, 2019
कांग्रेस, एआईयूडीएफ, ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन, कृषक मुक्ति संग्राम समिति, ऑल अरुणाचल प्रदेश स्टूडेंट्स यूनियन, खासी स्टूडेंट्स यूनियन और नगा स्टूडेंट्स फेडरेशन जैसे संगठन बंद का समर्थन करने के लिए एनईएसओ के साथ हैं। गुवाहाटी विश्वविद्यालय और डिब्रुगढ़ विश्वविद्यालय ने कल होने वाली अपनी सभी परीक्षाएं टाल दी हैं।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि वह किसी भी कीमत पर विभाजनकारी विधेयक का विरोध करेंगी और देश के किसी भी नागरिक का दर्जा घटाकर शरणार्थी का करने नहीं दिया जाएगा।
वहीं नागरिकता विधेयक और छह समुदायों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा प्रदान किए जाने की मांग पर दबाव बनाने के लिए ऑल मोरान स्टूडेंट्स यूनियन (एएमएसयू) ने 48 घंटे के असम बंद के पहले दिन कई जिलों में आम जनजीवन प्रभावित हुआ। क्षेत्र में सभी छात्र संगठनों के की आशंकाओं को दूर किए जाने के बावजूद असम और त्रिपुरा में विरोध प्रदर्शन हुए।
प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए डिब्रूगढ़ और गुवाहाटी में पुलिस ने लाठियां चलाईं। लंबी दूरी की कुछ बसें पुलिस पहरे में चलीं। बंद के कारण काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में कई पर्यटक फंस गए। उन्हें गुवाहाटी ले जाने के लिए कोई सार्वजनिक परिवहन नहीं था। इन जगहों पर दुकानें, बाजार और वित्तीय संस्थान बंद रहे। स्कूल और कॉलेज भी नहीं खुले।
बराक घाटी के बंगाली समुदाय बहुल कछार, करीमगंज और हैलाकांडी जिले में और पहाड़ी जिले कार्बी आंगलोंग और दीमा हसाओ में बंद का असर नहीं पड़ा। बंद प्रभावित क्षेत्रों में निजी कार्यालय बंद रहे और सरकारी कार्यालयों में भी उपस्थिति बहुत कम रही। डिब्रूगढ और गुवाहाटी में पुलिसकर्मियों से भिड़ने वाले प्रदर्शनकारियों के समूह को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने लाठी चार्ज किया।
नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ बंद के अलावा एएमएसयू ने मोरान और पांच अन्य समुदायों- ताई अहोम, कूच राजबोंगशी, चूटिया, चाय बागान समुदाय और मटाक को अनुसूचित जनजाति का दर्जा प्रदान किए जाने की मांग पर जोर देने के लिए प्रदर्शन का आयोजन किया। प्रदर्शनकारियों ने कई जगहों पर मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल के खिलाफ भी विरोध प्रदर्शन किया।