नागरिकता संशोधन विधेयक के बुधवार को राज्यसभा से पास होने के बाद जहां अप्रवासी भारतीय जश्न मना रहे हैं, तो पूर्वोत्तर राज्यों में बिल का जबरदस्त विरोध हो रहा है। वहां आगजनी, सड़कों पर प्रदर्शन, मौत और लोगों के घायल होने की खबरें लगातार सुर्खियां बनी हुई हैं।
इस बीच अमेरिकी सांसद आंद्रे कार्सन ने बिल को लेकर मोदी सरकार पर हमला बोला है। कार्सन ने कहा कि यह बिल मुसलमानों को दूसरे दर्जे का नागरिक बनाने की कोशिश है।
उन्होंने कहा, ‘सांसदों के क्रूर कैब को पारित करने के साथ ही आज हमने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक और घातक कदम देखा।
यह कदम भारत में अल्पसंख्यक मुसलमानों को दूसरे दर्जे का नागरिक बनाने का एक और प्रभावी प्रयास है।’ आंद्रे कार्सन ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म करने पर भी टिप्पणी की है।
कार्सन ने जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लेने पर चिंता जाहिर करते हुए कहा, ‘भारतीय प्रधानमंत्री ने जब पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लेने की घोषणा की थी, मैंने तब भी कश्मीर के भविष्य पर उसके असर को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की थी।’
कार्सन ने इसे एक खतरनाक कदम और अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के खिलाफ करार देते हुए कहा कि सरकार ने कश्मीर के लोगों की लोकतांत्रिक इच्छा को नजरअंदाज किया।
भारतीय संवैधानिकता की समृद्ध परंपरा को कमतर किया और भारत के भविष्य को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए।
गौरतलब है कि भारत सरकार ने इसी साल पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाकर उसे एक केंद्र शासित प्रदेश बनाने की घोषणा की थी।
पाकिस्तान ने इस पर कड़ा विरोध जाहिर करते हुए द्विपक्षीय संबंधों को कम कर भारतीय दूत को निष्कासित कर दिया था। वहीं भारत लगातार यह कहता रहा है कि यह स्पष्ट रूप से उसका आंतरिक मामला है।
नागरिकता संशोधन विधेयक की बात करें तो इसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों- हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है।
राज्यसभा से पारित हो चुके इस बिल को अब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास भेजा जाएगा। उनके हस्ताक्षर के बाद यह कानून बन जाएगा।
इस बिल के खिलाफ गुरुवार को ‘इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग’ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करेगी। लीग ने बिल को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द करने की मांग की है।