नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने आज 39वें दिन अयोध्या केस की सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन से चुटकी ले ली। जब हिंदू पक्ष के वकील के. परासरण से संवैधानिक पीठ सवाल-पर-सवाल दाग रही थी तो सीजेआई ने धवन से पूछ लिया कि क्या वह संतुष्ट हैं? सीजेआई के इस सवाल पर पूरा कोर्ट रूम ठहाके से गूंज उठा।
दरअसल, मामला यह है कि कल वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ पर सिर्फ उनसे (धवन से) सवाल पूछने का आरोप लगाते हुए कहा था कि पीठ हिंदू पक्ष के वकीलों से सवाल नहीं करती है। इस पर कल पीठ ने कुछ नहीं कहा, ‘हालांकि हिंदू पक्ष के वकील के. परासरण ने धवन के बयान को गैर-जरूरी बताते हुए आपत्ति जरूर जाहिर की थी।’
हालांकि, आज जब परासरण ने अयोध्या की विवादित जमीन पर हिंदुओं के टाइटल का दावा कर रहे थे, तब पीठ में शामिल जज उनसे एक के बाद एक कई सवाल किए। इसी बीच सीजेआई गोगोई ने धवन से पूछ डाला, ‘मि. धवन, क्या हम हिंदू पक्षों से पर्याप्त सवाल कर रहे हैं?’ कल के आरोप पर सीजेआई का धवन पर किया गया तंज समझने में देर नहीं लगी और कोर्ट रूम में बैठे सारे लोग ठहाके लगाने लगे।
बहरहाल, रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले में हिंदू और मुस्लिम पक्ष की अपनी-अपनी दलीलें सोमवार को सुनवाई के 38वें दिन खत्म हो गईं।अब बार पूरक सवालों और उनके जवाबों का है। इसी क्रम में आज मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कोर्ट को बताया कि निर्मोही अखाड़ा के वकील सुशील जैन की मां का निधन हो गया है, इसलिए आज वो अपनी दलील नहीं देंगे। वह सुन्नी वक्फ बोर्ड के दलीलों का जवाब कल देंगे। फिलहाल, हिन्दू पक्ष के वकील के परासरण वक्फ बोर्ड के दलीलों का जवाब दे रहे हैं।
गौरतलब है कि मध्यस्थता की तमाम कोशिशों के असफल होने के बाद शीर्ष अदालत ने इस मामले की रोजना सुनवाई का फैसला किया था। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में 5 जजों की संविधान पीठ ने पिछले 38 दिनों से लगातार इस मामले की सुनवाई कर रहा है। माना जा रहा है कि नवंबर के दूसरे हफ्ते में इस मामले में देश की सर्वोच्च अदालत अपना निर्णय सुना सकती है। संभावित फैसले से पहले अयोध्या में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। कोर्ट में हिंदू और मुस्लिम पक्ष अपने-अपने पक्ष में तगड़ी दलीलें रख रहे हैं। कोर्ट ने दोनों पक्षों से 17 अक्टूबर तक अपनी बहस पूरी करने का आदेश दिया है।
इलाहाबाद कोर्ट ने 30 सितंबर 2010 को विवादित 2.77 एकड़ जमीन को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला विराजमान के बीच बराबर-बराबर बांटने का आदेश दिया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले के खिलाफ 14 याचिकाएं दायर की गईं थीं। शीर्ष अदालत ने मई 2011 में हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने के साथ विवादित स्थल पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया। अब इन 14 अपीलों पर लगातार सुनवाई हो रही है।