नई दिल्ली: भारत के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस एसएन शुक्ला को उनके पद से हटाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खत लिखा है। दरअसल, जस्टिस शुक्ला को जांच के बाद कई गंभीर न्यायिक अनियमितताओं के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था।
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबरों के मुताबिक चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज एसएन शुक्ला को पद से हटाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी से संसद में प्रस्ताव लाने की गुजारिश की है। गौरतलब है कि 18 महीने पहले ही जस्टिस शुक्ला को उनके पद से हटाने की सिफारिश की गई थी। अदालत के आंतरिक पैनल ने अपनी जांच में उनके खिलाफ कई अनियमितताएं पायी थीं। रंजन गोगोई ने अपने खत में प्रधानमंत्री से कहा है कि, ‘आपसे निवेदन है कि इस मामले में कार्रवाई करें।’ जस्टिस गोगोई के खत से संकेत मिल रहा है कि वो न्यायपालिका में बड़े स्तर पर भ्रष्टाटार के खात्मे के लिए भ्रष्ट लोगों को वहां से निकालना जरूरी मान रहे हैं।
खास बात ये है कि इससे पहले जस्टिस गोगोई ने न्यायिक कार्य देने के जस्टिस शुक्ला की मांग को खारिज कर दिया था। उनके खिलाफ पैनल की जांच रिपोर्ट आने के बाद पिछले साल 22 जनवरी से ही उनसे सारे न्यायिक कार्य वापस ले लिए गए थे। चीफ जस्टिस ने प्रधानमंत्री को लिखा है कि, ‘जस्टिस शुक्ला की ओर से 23 मई, 2019 को मुझे खत मिला, जो इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस की ओर से फॉरवर्ड किया गया था। इस खत में शुक्ला ने उन्हें न्यायिक कार्य करने देने की इजाजत मांगी थी। जस्टिस शुक्ला पर जो आरोप पाए गए हैं, वह गंभीर प्रकृति के हैं और उन्हें न्यायिक कार्य की इजाजत नहीं दी जा सकती है। ऐसी परिस्थितियों में आप आगे की कार्रवाई के लिए फैसला लें…’
बात 2017 की है, जब यूपी के एडवोकेट जनरल राघवेंद्र सिंह ने जस्टिस शुक्ला पर अनियमितताओं के आरोप लगाए थे। इस पर उस समय के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने मद्रास हाई कोर्ट की तत्कालीन चीफ जस्टिस इंदिरा बनर्जी, सिक्किम के चीफ जस्टिस एसके अग्निहोत्री और मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जस्टिस पीके जायसवाल का पैनल गठित किया गया था। इस पैनल ने जस्टिस शुक्ला को एक मामले में मेडिकल कॉलेजों का कथित तौर पर तरफदारी करने का जिम्मेदार ठहराया था, तभी से यह मामला लंबित है। लेकिन, संवैधानिक प्रावधानों के चलते उनकी सेवा अभी तक खत्म नहीं हो पाई है।