मुंबई- सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई में होटलों व रेस्टोरेंट्स में डांस बार को लाइसेंस जारी करने का रास्ता बुधवार को साफ कर दिया। कोर्ट ने डांस बार को लाइसेंस प्रदान करने के लिए पुलिस द्वारा लगाई गई शर्तो में संशोधन किए जाने के बाद यह आदेश दिया है, जिसके मुताबिक डांस बार के अंदर सीसीटीवी कैमरे लगाना जरूरी नहीं होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि डांस फ्लोर पर एक साथ सिर्फ 4 बार डांसर ही डांस कर सकेंगी। बाकी की डांसर बार में ही रहेंगी और पनी बारी आने से पहले या बाद में ये डांसर बार में कहीं भी बैठ सकती हैं। डांसरों के लिए ग्रीन रूम होगा जिसका इस्तेमाल सिर्फ कपड़े बदलने या डांस की तैयारी के लिए होगा।
होटल व रेस्टोरेंट्स के मालिकों को शर्तो के अनुपालन के लिए तीन दिनों का समय देते हुए न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा व न्यायमूर्ति शिव कीर्ति सिंह की सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने पुलिस को 10 दिनों के भीतर लाइसेंस जारी करने के लिए कहा।
न्यायालय ने कहा, “हम इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि संबंधित अधिकारी लाइसेंस प्रदान करने में किसी प्रकार की कोताही नहीं बरतेंगे और वे न्यायपालिका के आदेश की अवहेलना नहीं करेंगे।” न्यायालय का यह आदेश महाराष्ट्र सरकार द्वारा डांस बार को लाइसेंस प्रदान करने के लिए कुछ शर्त लगाने के बाद आया है।
ज्ञात हो कि महाराष्ट्र सरकार की इस शर्त पर बार मालिकों को सबसे ज्यादा एतराज था कि पुलिस कंट्रोल रूम में डांस बार की लाइव सीसीटीवी फुटेज देनी पड़ेगी। इसी को लेकर बार मालिकों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। शराब और शबाब का संगम है डांस बार डांस बार का मतलब होता है ऐसा हॉल जहां तेज आवाज में बॉलीवुड गानों पर कुछ लड़कियां डांस करती हैं। ग्राहक उन लड़कियों पर नोट उड़ाते है और उनके साथ डांस करने से भी नहीं चूकते। इसके साथ ही कुछ डांसर्स ग्राहकों के गिलास में बीयर और शराब डालती रहती हैं। यानी शराब और शबाब का संगम होते हैं ये डांस बार।
याचिकाकर्ता इंडियन होटल्स एंड रेस्टुरेंट एसोसिएशन ने 24 फरवरी को अदालत से कहा कि लाइसेंस के लिए थोपी गईं कुछ शर्ते सही नहीं हैं। न्यायालय ने 24 फरवरी को ही महाराष्ट्र सरकार को शर्तो में संशोधन के लिए कहा था।