
दरअसल, BSP की परंपरा के मुताबिक सभी सीटों के प्रभारी ही आगे उम्मीदवार घोषित किए जाते हैं. हालांकि आखिरी मौके पर कुछ सीटों पर उम्मीदवार बदलने की परंपरा भी बहुजन समाज पार्टी में है. लेकिन जिस तरह से बीएसपी ने अपने सभी सीटों पर प्रभारी तय कर दिए हैं. माना जा रहा है कि मायावती का यह राजनीतिक दांव है, ताकि महागठबंधन बनने पर ज्यादा से ज्यादा सीटों पर दावेदारी की जा सके. हालांकि बीएसपी सूत्रों का कहना है कि गठबंधन की बात अपनी जगह है, कार्यकर्ताओं में जोश पैदा करने के लिए पार्टी के ओर से ये कदम उठाए गए हैं. ताकि पार्टी बूथ स्तर पर पार्टी मजबूत हो अभी से कार्यकर्ता काम में जुट जाएं.
गठबंधन पर अंतिम मुहर का इंतजार
लेकिन राजनीति के जानकार इसे ज्यादा से ज्यादा सीटों पर दावेदारी से जोड़कर देख रहे हैं. क्योंकि अभी तक सपा और कांग्रेस से बीएसपी के गठबंधन को अंतिम रूप नहीं दिया गया है. किस फॉर्मूले के तहत सीटों का बंटवारा होगा इस पर भी कोई रास्ता नहीं निकला है. वैसे खबर ये है कि 2014 में मिले वोटों के आधार पर सीटों का बंटवारा हो सकता है. बता दें, 2014 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी 80 में से 34 सीटों पर नंबर दो पर रही थी l
रिपोर्ट: श्रीधर अग्निहोत्री