नई दिल्ली – नए साल की रात सूरत बंदरगाह की ओर आ रही कथित टेरर बोट को उड़ाए जाने के मामले में नया दावा सामने आया है। भारतीय तटरक्षक बल के डीआईजी ने कहा है कि उन्होंने उस नाव को उड़ाने का आदेश दिया था। हालांकि वारदात के बाद रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया था कि नाव को उसमें सवार आतंकियों ने ही आग लगा दी थी।
विज्ञप्ति में कहा गया था कि कोस्ट गार्ड के जवानों ने संदिग्ध नाव को रोकने की कोशिश की तो नाव में सवार लोगों ने खुद को विस्फोट से उड़ा लिया। डीआईजी के बयान ने सरकार के दावों को लेकर सनसनी मचा दी है।
हालांकि डीआईजी लोशाली की ओर इस तरह का बयाने देने की खबरों का खंडन भी किया गया है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, कोस्ट गार्ड के डीआईजी बीके लोशाली ने एक कार्यक्रम में कहा था कि उसने खुद ही नाव को उड़ाने का आदेश दिया था, वो नाव में सवार लोगों को बिरयानी नहीं खिलाना चाहते थे। लोसाली उत्तर पश्चिम बंदरगाह के प्रमुख हैं।
लेकिन लोशाली ने अब ऐसी खबरों का खंडन करते हुए कहा है कि उनके बयानों को गलत ढंग से पेश किया गया है। उन्होंने कहा है कि वे बोले थे किसी भी बाहरी ताकत को भारतीय सुरक्षा घेरा तोड़ने का अधिकार नहीं है। और पाकिस्तानी नाव देश की सीमा में घुसी थी तो वे नाव में सवार लोगों को बिरयानी खिलाने के मूड में नहीं थे।
उन्होंने कहा है कि उनके बयान को मीडिया में गलत ढंग से पेश किया गया है। जब सच्चाई यह है कि बोट में सवार लोगों ने ही नाव को विस्फोट से उड़ाया था।
मीडिया में खबरें थीं कि 31 दिसंबर की रात गुजरात बंदरगाह की ओर आ रही एक संदिग्ध नाव को जब भारतीय तटरक्षकों ने रोकने की कोशिश की तो नाव में सवार लोगों ने नाव को विस्फोट से उड़ा दिया।
इस मामले पर रक्षा मंत्रालय की ओर से दावा किया गया था कि भारजीय तटरक्षक बल के जवानों ने जब नाव को रोकने की कोशिश की गई तो नाव में सवार लोगों ने रहस्यमई परिस्थितियों ने नाव को विस्फोट से उड़ा लिया। इस प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस की ओर से सरकार के दावों पर शंका जाहिर की गई थी।
कांग्रेस प्रवक्ता राशिद अल्वी ने कहा था कि उस संदिग्ध नाव में क्या और किस मकसद पर वो भारत की ओर आ रही इस बात का खुलासा सरकार को करना चाहिए।