भोपाल : मध्य प्रदेश विधानसभा सचिवालय भर्ती घोटाला मामले में मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह आज भोपाल की अदालत में पेश हुए। पूर्व मुख्यमंत्री की पेशी के बाद कोर्ट ने उनके खिलाफ वारंट को रद्द कर दिया। दिग्विजय सिंह आज पूर्वाह्न यहां विशेष जिला एवं सत्र न्यायाधीश काशीनाथ सिंह की अदालत में अपने वकीलों के साथ पेश हुए। कोर्ट में उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए उ्हें जमानत दे दी
उनके साथ कई कांग्रेस नेता एवं उनके समर्थक मौजूद थे। अदालत ने शुक्रवार को उस समय सिंह के खिलाफ गैर जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया था, जब वह इस मामले में पुलिस द्वारा दायर की गई 169 पृष्ठों की पूरक चार्जशीट पेश किए जाते वक्त सम्मन के बावजूद अदालत में उपस्थित नहीं हुए थे।
इस मामले में चार्जशीट दाखिल करने से पहले पिछले साल पुलिस ने सिंह से लगभग पांच घंटे तक पूछताछ की थी। यह मामला 1993 एवं 2003 का है, जब राज्य विधानसभा सचिवालय में कुछ भर्तियों में अनियमितताओं का आरोप है। उस समय सिंह इस प्रदेश के मुख्यमंत्री थे।
गौरतलब है कि पुलिस पूछताछ में सिंह ने कहा था कि विधानसभा सचिवालय में सभी नियुक्तियां मंत्रिमण्डल की मंजूरी और तय नियमों के तहत ही की गई थीं। इस मामले में सभी आरोपियों पर जालसाजी, ठगी, साजिश एवं पद के दुरूपयोग के साथ ही भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत आरोप तय किए गए हैं।
सिंह के साथ अदालत में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरूण यादव, पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुरेश पचौरी एवं उनके वकील विवके तन्खा मौजूद थे। वह आज सुबह लगभग साढे ग्यारह बजे अपने समर्थकों सहित अदालत पहुंचे थे। पुलिस द्वारा विधानसभा सचिवालय में कथित भर्ती घोटाले मामले में कल अदालत में पूरक चार्जशीट पेश किए जाते समय के. के. कौशल एवं ए.के. प्यासी सहित सात आरोपी मौजूद थे, जिन्हें तीस-तीस हजार रूपये के निजी मुचलके पर जमानत मिल गई थी। कौशल एवं प्यासी मध्यप्रदेश विधानसभा के पूर्व अधिकारी हैं।