सुबह के आठ बजे शिवपुरी जिले के बाहरी हिस्से में स्थित बॉम्बे केाठी से कांग्रेस के सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया का निकलना होता है और अपनी कार पर सवार होकर चल देते हैं। जनसंपर्क और उपचुनाव के प्रचार पर। उनका यह क्रम रात 11 बजे तक चलता है। इन 15 घंटों में न तो उनके चेहरे पर कहीं तनाव नजर आता है और न ही थकान। उनका सियासत के मैदान में ‘खिलाड़ी’ का अंदाज अन्य नेताओं से जुदा है। उनके भाषणों में न तो किसी नेता की व्यक्तिगत आलोचना होती है और न ही ओछी भाषा का इस्तेमाल।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और गुना संसदीय क्षेत्र के सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के एक दिन के कार्यक्रम को आईएएनएस ने करीब से देखा और उनके राजनीतिक कौशल को समझने की कोशिश की। सुबह के आठ बजे बॉम्बे कोठी से सिंधिया का निकलना होता है। हल्के रंग का कुर्ता, उस पर हरे रंग की जैकेट, सफेद पायजामा, दाएं हाथ में कई रंग के कलावा, बाएं हाथ में चमकती घड़ी और गले में कांग्रेस का गमछा, गाड़ी से उतरकर कार्यकर्ताओं के बीच होते हुए मंच तक जाना और वापस गाड़ी तक आने का अंदाज फुर्ती भरा होता है।
सिंधिया अपने आवास से निकलते ही वहां मौजूद कुछ लोगों से मिलते हैं और अपने निजी सहायक से दिन भर के कार्यक्रम का ब्यौरा लेने के बाद अपनी गाड़ी की अगली सीट पर सवार होकर चल पड़ते हैं। एक मिनी मैराथन का उद्घाटन, दो परिवारों में शोक संवेदना व्यक्त करने के बाद उनकी गाड़ी कोलारस विधानसभा की ओर बढ़ जाती है।
सिंधिया खरई में मतदान केंद्र के कार्यकर्ताओं से मुलाकात करते हैं, उसके बाद कोलारस, देहारदा तिराहा, कुटवारा, खतौरा, कोलारस होते हुए रात 11 बजे वापस अपने निवास बॉम्बे कोठी पहुंचते हैं और सभी को नमस्कार करते हुए विदा लेते हैं।
लगभग 15 घंटे की इस यात्रा और कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के बाद सिंधिया के चेहरे पर थकान नजर नहीं आती। उपचुनाव को लेकर जरा भी न तो चिंता जाहिर करते हैं और न ही कार्यकर्ताओं के बीच उसका एहसास होने देते है। प्रवास के दौरान उनका अंदाज जुदा होता है। वह एक-एक कार्यकर्ता के गले में कांग्रेस का गमछा डालते हैं और उसके कंधे पर हाथ रखकर कांग्रेस के लिए काम करने का आहवान करते हैं।
सिंधिया का अंदाज कार्यकर्ताओं के बीच ठीक टीम के उस कप्तान की तरह होता है, जो हर खिलाड़ी से सीधे संवाद कर टीम की जीत की रणनीति बनाता है। सिंधिया ने आधा दर्जन स्थानों पर कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए यही कहा, भाजपा का यहां से बोरिया-बिस्तर बांधकर भेजने की जिम्मेदारी आप लोगों की है।
वे शिवपुरी में हुए विकास का जिक्र करते हैं और भाजपा की हकीकत बताने से नहीं चूकते। मगर इस दौरान न तो वे प्रधानमंत्री पर कोई हमला बोलते हैं और न ही मुख्यमंत्री का जिक्र करते हैं। उनके निशाने पर सरकार और भाजपा होती है।
खरई के मतदान केंद्र कार्यकर्ताओं की बैठक में कल्लो बाई (55) को जब सिंधिया ने कांग्रेस का गमछा गले में पहनाया, तो वह फूली नहीं समाई। वह बोली कि सिंधिया तो उसके ‘महाराज’ हैं, उनके कारण ही उसके गांव में बिजली आई है।
सिंधिया के साथ विधायक रामनिवास रावत और के.पी. सिंह होते हैं। इन दोनों विधायकों को यहां की जिम्मेदारी सौंपी गई है। सिंधिया स्वयं एक-एक कार्रवाई पर नजर बनाए हुए हैं। मतदान केंद्र के लिए बनाए गए दलों के प्रभारियों से उनका सीधा संवाद है।
सिंधिया कार्यकर्ताओं से साफ कहते हैं कि वे ही उनके सैनिक हैं और परिणाम भी उन्हीं पर निर्भर है। यहां भाजपा उम्मीदवार को सिर्फ हराना नहीं है, बल्कि उसकी जमानत जब्त कराना उनका लक्ष्य है।
सिंधिया अपने इस दौरे के दौरान कभी हिदायत देते तो कभी मजाक करते भी नजर आए। कोलारस में रात नौ बजे जब कार्यकर्ताओं के बीच पहुंचे, तो मजाकिया अंदाज में बोले, आज तो बड़ी गर्मी है! सिंधिया के इस अंदाज से सभी ठहाके मारने लगे, क्योंकि सभी सर्द हवाओं से ठिठुरे जा रहे थे।