नई दिल्ली– कांग्रेस पार्टी में उपाध्यक्ष राहुल को लेकर घमासान सतह पर आता दिख रहा है। राहुल की आत्ममंथन की छुट्टियों से लौटने की खबरों के बीच उनकी ताजपोशी को लेकर पार्टी में दो गुट बन गए हैं। एक गुट अभी कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर सोनिया गांधी को ही देखना चाह रहा है। वहीं, टीम राहुल पार्टी उपाध्यक्ष के पदोन्नति की पेशबंदी में जुट गई है। उसकी कोशिश उपाध्यक्ष के लौटते ही इस मामले को परवान चढ़ाने की है। इस बीच कांग्रेस ने एलान किया है कि राहुल 19 अप्रैल की किसान मजदूर रैली को संबोधित करेंगे।
कांग्रेस में राहुल को लेकर एक राय कायम करने में जुटी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भूमि अधिग्रहण मुद्दे पर मिली सफलता राहुल की राह का रोड़ा बन सकती है। राहुल के नेतृत्व को चुनौती दे रहा तबका अब सोनिया को बेहतर राजनीतिक समझ रखने वाला, उदार नेता, बेहतर संगठनकर्ता बताकर उनकी तुलना राहुल से कर रहा है। जबकि, टीम राहुल अगले ही माह राहुल की ताजपोशी को लेकर खामोशी से बदलाव के खाके पर काम रही है। राहुल की ताजपोशी को आगे बढ़ाए जाने की खबरों के बीच टीम राहुल की तैयारी कांग्रेस कार्यसमिति में प्रस्ताव के जरिये राहुल के लिए अध्यक्ष पद पर मुहर लगवाने की है। बाद में पार्टी अधिवेशन में इसे अनुमोदित कराने की योजना है।
इस बीच पार्टी प्रवक्ता संदीप दीक्षित ने लगातार दूसरे दिन सोनिया को पार्टी में सबसे बेहतर नेता बताकर असंतोष को आवाज दी है। दीक्षित ने कहा कि उनकी राय में कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व करने के लिए सोनिया गांधी ही ‘एकमात्र’ और ‘सर्वश्रेष्ठ’ नेता हैं। पार्टी उपाध्यक्ष से सोनिया की तुलना करते हुए उन्होंने कहा कि ‘राहुल गांधी सक्षम नेता हैं, लेकिन जब कभी मुझे चुनना होगा, तब सोनियाजी हमारी बेहतर सेनापति रहेंगी।’ वहीं, वरिष्ठ कांग्रेस महासचिव अंबिका सोनी ने कहा, ‘पार्टी में राहुल व सोनिया एक दूसरे के पूरक हैं। दोनों को लेकर मतभेद पैदा होने का सवाल नहीं उठता।] राहुल के अध्यक्ष बनाए जाने को लेकर उनका कहना था कि यह पार्टी अध्यक्ष को तय करना है। कांग्रेस महासचिव गुरदास कामत ने भी सोनिया के नेतृत्व को पार्टी की आवश्यकता बताया है। उन्होंने कहा कि दोनों नेता पार्टी की जरूरत हैं।
इससे पहले पार्टी प्रवक्ता संदीप दीक्षित ने भूमि अधिग्रहण के मुद्दे को नेतृत्व क्षमता से जोड़ते हुए कहा कि ‘विपक्ष को एकजुट करने के लिए सोनिया गांधी सबसे भरोसेमंद नेता हैं।’ दीक्षित ने परोक्ष रूप से राहुल की राजनीतिक सोच पर सवाल उठाते हुए कहा था,’सोनियाजी को पता है कि राजनीतिक मुद्दे कब और कैसे उठाने हैं। वे यह भी जानती हैं कि कौन सा मुद्दा पार्टी का है। कौन सा राजनीति का। राजनीतिक दल राजनीतिक मुद्दों के आधार पर इलेक्शन जीतते हैं, पार्टी मुद्दों के आधार पर नहीं।’ गौरतलब है कि राहुल पार्टी में सुधार, चुनाव लोकतंत्र की वकालत करते रहे हैं।- एजेंसी