नई दिल्ली : कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू की मुश्किलें पंजाब के अमरिंदर सिंह सरकार से निकलने के बाद भी खत्म नहीं हो रही हैं। उनका मंत्री पद गया, बंगला गया, तब उनके सिर पर जमीनी समस्याओं का बोझ भी बढ़ गया है। उनके क्षेत्र के लोग उनसे सवाल पूछने लगे हैं कि अबतक विधायक होने के नाते उन्होंने किया क्या है। आरोप है कि चुनाव जीतने के बाद से वे अपने विधानसभा क्षेत्र के इलाकों में नजर भी नहीं आए हैं। इसको लेकर हाल ही में एक विरोध प्रदर्शन भी हुआ है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बड़ी उम्मीदों के साथ कांग्रेस में शामिल हुए सिद्धू अब अपनी ही पार्टी में पूरी तरह से अलग-थलग पड़े हुए नजर आ रहे हैं। इसका असर उनके विधानसभा क्षेत्र के लोगों पर भी पड़ा है, जहां उनका विरोध शुरू हो गया है। खबरों के मुताबिक हाल ही अमृतसर के बटाला रोड के न्यू प्रीतनगर में विधायक नवजोत सिंह सिद्धू और पार्षद जसविंदर के खिलाफ जोरदार हंगामा हुआ है। लोग इस बात को लेकर नाराज हैं कि उनके इलाके में विकास का काम नहीं हो रहा है। नाराज निवासियों का आरोप है कि 2017 में विधायक बनने के बाद से सिद्धू ने उनके इलाके में अपना मुंह तक नहीं दिखाया है।
अमृतसर के लोगों की शिकायत है कि नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर सिद्धू ने इलाके में विकास की बातों का सिर्फ आश्वासन दिया है, लेकिन काम कुछ भी नहीं हुआ है। लोग इतने भड़के हुए हैं कि अगर अब भी सिद्धू ने अपनी जिम्मेदारियों को समझने में देर की तो वे उनकी कोठी घेरने और उनका पुतला जलाने तक की चेतावनी दे रहे हैं। दरअसल, न्यू प्रीतनगर इलाके में करीब 200-250 घर हैं, लेकिन वहां की ज्यादार गलियों में रास्ते ऊबड़-खाबड़ हैं, जिससे गुजरने में लोगों को बहुत दिक्कत होती है। खासकर रात के समय में उनकी परेशानियां और भी बढ़ जाती हैं। कई बार रात को बत्ती गुल होने के चलते चोरियों की वारदात भी हो चुकी है। इलाके के लोग अपनी शिकायतों को लेकर कई बार स्थानीय पार्षद जसविंदर के पास भी जा चुके हैं, लेकिन कोई समाधान नहीं मिल पा रहा है।
गौरतलब है कि अमरिंदर सिंह कैबिनेट से निकलने के बाद सिद्धू का पंजाब सरकार में ठिकाना तो उजड़ ही चुका है, पार्टी में भी कोई ऊंची हैसियत वाली जिम्मेदारी अभी तक नहीं मिल पाई है। गौर करने लायक बात ये है कि सरकार से हटने के बाद सिद्धू आमतौर पर सार्वजनिक जीवन से दूर ही दिखाई दे रहे हैं और वे पार्टी में भी ऐक्टिव नहीं हैं। अलबत्ता, उनके कभी दिल्ली शिफ्ट करने और कभी दूसरा बड़ा दायित्व लेने का शिगूफा जरूर छोड़ा जाता रहा है। लेकिन, इतना स्पष्ट है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह के राज में उन्हें पंजाब में ज्यादा तबज्जो मिलना बहुत ही मुश्किल है। गौरतलब है कि नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब कैबिनेट में अपना पोर्टफोलियो बदले जाने के खिलाफ मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। सिद्धू ने ट्विटर पर अपने इस्तीफे की कॉपी अपलोड करते हुए लिखा था कि वो मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे रहे हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से ही पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू की बीच खींचतान चल रही थी। इसी खींचतान के चलते नवजोत सिंह सिद्धू को इस्तीफा देने के मजबूर होना पड़ गया। क्योंकि, मौजूदा समय में कैप्टन अमरिंदर सिंह के कद का कोई नेता पार्टी में बचा नहीं है और उनपर मनमर्जी थोपना आलाकमान के लिए भी आसान नहीं रह गया है।