प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली के बाद मंडी पहुंच रहे कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी प्रदेश में मोदी मंत्र की काट सुझाएंगे। राहुल का यह प्रस्तावित पलटवार कांग्रेस के चुनाव प्रचार अभियान की दिशा तय करेगा। भाजपा पर तीखे हमले के अलावा प्रदेश में पटरी से उतरे कांग्रेस के चुनावी अभियान को रफ्तार देने में रैली अहम साबित होगी।
कांग्रेस का चुनाव अभियान मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस संगठन में बंटा हुआ है। ऐसे में राहुल गांधी के सामने एक चुनौती इन दो धाराओं के बीच तालमेल बैठाने की भी होगी। भाजपा की अभी तक प्रदेश में स्पष्ट चुनावी रणनीति है। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को निशाने पर रखो और सीएम का चेहरा दिए बिना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जरिये मतदाताओं को बांधो।
बिलासपुर में प्रधानमंत्री की रैली से भी यही संकेत दिया गया कि कांग्रेस को केवल भ्रष्टाचार पर घेरा जाएगा। उधर, कांग्रेस का अभी तक का चुनावी अभियान इससे बिल्कुल जुदा रहा है। वीरभद्र सिंह और सुखविंदर सिंह सुक्खू की खींचतान के चलते संगठन अब तक कोई संगठित अभियान शुरू ही नहीं कर पाया है।
अंदरूनी खींचतान खत्म करने की है चुनौती
वीरभद्र सिंह प्रदेश सरकार की उपलब्धियों और हिमाचल के प्रति अपने सरोकारों को चुनावी अभियान का हिस्सा बनाए हुए हैं। साथ ही वे लगातार कांग्रेस संगठन को कटघरे में खड़ा कर चुके हैं। उनके मुताबिक जिस विश्वास से भाजपाई सरकार के खिलाफ झूठ बोलते हैं, उतने विश्वास से संगठन सच भी नहीं बोल पा रहा।
ऐसे में वीरभद्र अकेले अपने दम पर कांग्रेस के खेवनहार बनने की कोशिश करते हुए दिख रहे हैं। इससे उलट, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सुखविंदर सुक्खू हाईकमान के निर्देशानुसार चलते दिख रहे हैं। भाजपा की परिवर्तन यात्रा के जवाब में सुक्खू ने पथ यात्रा शुरू कर वीरभद्र से समन्वय बनाने की कोशिश की, लेकिन नाकाम साबित हुई।
अंदरूनी खींचतान इतनी भारी है कि हाईकमान के सामने वीरभद्र सुक्खू के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं। सुक्खू को हटाने के लिए सोनिया को ई-मेल तक भेजे गए, जबकि वीरभद्र को हटाने के लिए पत्र भेजा गया। यह पहला मौका है जब दोनों खेमे एक साथ रैली की
तैयारियां करते दिख रहे हैं। ऐसे में राहुल के सामने चुनौती प्रधानमंत्री मोदी की बिलासपुर रैली का कड़ा जवाब देना होगा। साथ ही यह भी दबाव रहेगा कि वे भाजपा की रणनीति के जवाब में एक चेहरा तय कर उसके प्रति पार्टी में एक राय बना सकें।
गिरती अर्थव्यवस्था पर हमला
राहुल के तरकश में सबसे अहम अस्त्र गिरती अर्थव्यवस्था ही रहेगा। अर्थव्यवस्था पर यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी के मोदी पर हमलों को राहुल और धार दे सकते हैं।
जीडीपी में गिरावट पर मोदी के तर्कों को राहुल अपने तथ्यों से तर्कहीन साबित करने में कितना कामयाब होते हैं, ये देखना दिलचस्प होगा। नोटबंदी के साइड इफेक्ट के साथ जीएसटी से परेशान व्यापारी वर्ग की नब्ज टटोल सकते हैं। पेट्रोलियम पदार्थों के दाम को कांग्रेस चुनावी मुद्दा बना सकती है।
जमानत पर कांग्रेस का जवाब
बिलासपुर रैली में मोदी ने कांग्रेस को जमानत पर करार दिया था। पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया, उपाध्यक्ष राहुल से लेकर मुख्यमंत्री वीरभद्र के जमानत पर होने को भाजपा चुनावी मुद्दा बना चुकी है। भ्रष्टाचार के इस मुद्दे पर राहुल क्या कहते हैं, इस पर सबकी नजर है।
राहुल के सामने मतदाताओं को यह समझा ले जाने की चुनौती है कि मोदी ने जो आरोप उनके परिवार और पार्टी पर लगाए हैं, वे कितने सच हैं। राहुल इस मुद्दे पर जो भी पक्ष देंगे उससे पार्टी की चुनावी दिशा तय होनी है।