नई दिल्ली: हर साल 26 नवंबर को देशभर में संविधान दिवस मनाया जाता है। इसी दिन भारत के संविधान मसौदे को अपनाया गया था। 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू होने से पहले 26 नवंबर 1949 को इसे अपनाया गया था। इसके अध्यक्ष के रूप में डॉ. भीमराव अंबेडकर को जिम्मेदारी सौंपी गई। दुनिया भर के तमाम संविधानों को बारीकी से परखने के बाद डॉ. अंबेडकर ने भारतीय संविधान का मसौदा तैयार कर लिया। 4 नवंबर 1948 से शुरू हुई यह चर्चा तकरीबन 32 दिनों तक चली थी। इस अवधि के दौरान 7,635 संशोधन प्रस्तावित किए गए जिनमें से 2,473 पर विस्तार से चर्चा हुई।
भारत के संविधान निर्माता के डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने भारतीय संविधान के रूप में दुनिया का सबसे बड़ा संविधान तैयार किया है। यह दुनिया के सभी संविधानों को परखने के बाद बनाया गया। इसे विश्व का सबसे बड़ा संविधान माना जाता है, जिसमें 448 अनुच्छेद, 12 अनुसूचियां और 94 संशोधन शामिल हैं। यह हस्तलिखित संविधान है जिसमें 48 आर्टिकल हैं। इसे तैयार करने में 2 साल 11 महीने और 17 दिन का वक्त लगा था। संविधान समिति के गठन के बाद संविधान सभा के सदस्यों का पहला सेशन 9 दिसंबर 1947 को आयोजित किया गया था। इसमें संविधान सभा के 207 सदस्य थे।
संविधान की ड्रॉफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष डॉ बी आर अंबेडकर थे। इस समिति में अंबेडकर के अलावा जवाहर लाल नेहरू ,सरदार पटेल, जे. बी. कृपलानी, राजेद्र प्रसाद, एस. एच. वर्धाचारियर, अल्लादी कृष्णा स्वामी अरयर,एम एन बैक्टाचेलेया ,गोपाल स्वामी अयंगर, कन्हैयालाल माणिक्यलाल ,मुशी एन. माधवराज ,टी. टी. कृष्णामाचारी, डी. पी. खेतान , मोहम्मद सादुल्ला शामिल थे। संविधान सभा के 284 सदस्यों ने 24 जनवरी 1950 को दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए । दो दिन बाद इसे लागू किया गया था। बताते हैं कि जिस दिन संविधान पर हस्ताक्षर हो रहे थे उस दिन खूब जोर की बारिश हो रही थी। इसे शुभ संकेत के तौर पर माना गया।
भारतीय संविधान की मूल प्रति हिंदी और अंग्रेजी दोनों में ही हस्तलिखित थी। इसमें टाइपिंग या प्रिंट का इस्तेमाल नहीं किया गया था। दोनों ही भाषाओं में संविधान की मूल प्रति को प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने लिखा था। रायजादा का खानदानी पेशा कैलिग्राफी का था। उन्होंने नंबर 303 के 254 पेन होल्डर निब का इस्तेमाल कर संविधान के हर पेज को बेहद खूबसूरत इटैलिक लिखावट में लिखा है। इसे लिखने में उन्हें 6 महीने लगे थे। जब उनसे मेहनताना पूछा गया था तो उन्होंने कुछ भी लेने से इनकार कर दिया था। उन्होंने सिर्फ एक शर्त रखी कि संविधान के हर पृष्ठ पर वह अपना नाम लिखेंगे और अंतिम पेज पर अपने नाम के साथ अपने दादा का भी नाम लिखेंगे।