भोपाल- कल कैबिनेट में हुई बैठक के दौरान मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि दिल्ली की सरकार की तरह मध्य प्रदेश में भी आधी कीमत पर फ्लाईओवर बनाने का नवाचार (innovation) किया जा सकता है। नवाचार कोई तकनीकी नहीं हैं ! इसके लिए ईमानदारी की इच्छा शक्ति और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने के दृड़ संकल्प की जरुरत हे जो शिवराज सरकार में नहीं है।
शिवराज सरकार ने पुल एवं सड़क निर्माण सहित प्रदेश में चल रहे सभी प्रोजेक्टों में भारी भ्रष्टाचार किया है ! और अब मध्य प्रदेश की जनता को भ्रमित और गुमराह करने के लिए मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की राह पर चलने के झूठे सपने दिखा रहे हैं। मध्य प्रदेश की सरकार पूरे देश में सबसे भ्रष्ट सरकार है, बाकि प्रदेशों में तो भ्रष्टाचार होता है ! पर मध्य प्रदेश में तो व्यापम जैसा खूनी महाघोटाला भी हुआ है।
कैग की रिपोर्ट के अनुसार 2008 से 2013 के दौरान मध्यप्रदेश सरकार की वजह से 20 पुलों के निर्माण में 8 वर्ष तक की देरी हुई है ! और लागत में भी वृद्धि हुई है। सरकार की नाकामियों की वजह से ही ठेकेदारो की कार्यवाही में देरी के कारण 52 पुलों को पूरा करने में काफी देर हुई है ! और इसके कारण लागत में लगातार वृद्धि हुई है। तवा पुल, कुरेल पुल और सीता रेवा पुल के पहुँच मार्ग बह गए हैं। इसी प्रकार कैग ने ग्रामीण सड़को के निर्माण में भी गुणवत्ता एवं प्रबंधन पर प्रश्न चिन्ह लगाये है। लेकिन इसके बावजूद भी कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई है। स्पष्ट है शिवराज सरकार कैग द्वारा उठाई गयी आपत्तियों पर कोई जांच नहीं कराना चाहती है क्योंकि वो जानते हैं कि यदि जांच होगी तो बड़े बड़े नाम घोटालों में सामने आएंगे।
शिवराज सिंह चौहान की नाक के नीचे भोपाल का रेलवे ओवरब्रिज (ROB) जो 27 करोड़ में 2014 में बनकर तैयार होना था, वह तीन गुना कीमत में 2016 में तैयार हुआ। भोपाल ब्यावरा रोड अभी तक पूरा नहीं हुआ जिसके कारण आये दिन दुर्घटनाये होती रहती हैं और सैकड़ों लोगों की मृत्यु हो चुकी है। भोपाल-जबलपुर फोर लेन, देवास ग्वालियर मार्ग, इंदौर-इछावर फोर लेन, इंदौर-नागपुर , इंदौर-अहमदाबाद और ऐसे अनेकों प्रोजेक्ट देर से चल रहे हैं और इनकी लागत भी कई गुना बढ़ी है। इसका प्रमुख कारण है, कार्य में देरी कर लागत को बढ़वाना और ठेकेदारो को लाभ पहुँचाना एवं भष्टाचार को बढ़ावा देना।
व्यापम जैसे खूनी महाघोटाले वाली यह शिवराज सरकार भ्रष्टाचार में गले तक डूबी हुई है। आज भ्रष्टाचार के दलदल में फंसी शिवराज सरकार अपनी तुलना दिल्ली सरकार से करके अपने पाप धोना चाहती है पर मध्यप्रदेश की जनता इन्हे कभी माफ़ नहीं करेगी और आने वाले चुनाव में इस भ्रष्ट्र और जनविरोधी सरकार को उखाड़ फेंकेगी।
मुख्यमंत्री को यह जवाब जनता को देना होगा कि पिछले 13 सालों में जिस प्रकार से तमाम प्रोजेक्टों में देरी हुई है और लागत बढ़ी है वो पैसा किसकी जेब में गया है? अगर आज वो सभी प्रोजेक्ट आधी लागत में कराये जा सकते हैं तो क्या आज के पहले सारे प्रोजेक्ट में कम से कम आधी राशि भ्रष्टाचार की भेंट नहीं चढ़ी है? क्या यही पैसा चुनाव में उपयोग हुआ है? मध्य प्रदेश में पिछले 13 साल में सड़क और पुल निर्माण कार्यों की CAG ऑडिट किया जाना चाहिए।
प्रदेश संयोजक आलोक अग्रवाल ने कहा कि यदि शिवराज सरकार वाकई केजरीवाल मॉडल की तरह काम करना चाहती है तो पहले पिछले 13 सालों में सभी पुलों और फ्लाईओवर में बढ़ी हुई लागत की जानकारी सार्वजनिक करें और सभी का CAG ऑडिट कराये।
प्रदेश सचिव अक्षय हुँका ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की असफलताओं को लगातार जनता के बीच लाया जाएगा और घर घर जाकर और विभिन्न माध्यमों से उनकी असफलताओं को जनता तक पहुंचाया जाएगा। जिस प्रकार से शिवराज सरकार ने जनता को ठगा है जनता ने 2018 में इस सरकार को उखाड़ फेंकने का मन बना लिया है।
साथ ही राष्ट्रीय परिषद की बैठक के बाद में मध्य प्रदेश में नए सह प्रभारी के रूप में रत्नेश गुप्ता नियुक्त किये गए हैं और अब मध्य प्रदेश को पार्टी सबसे प्रमुख राज्य मानते हुए भावी योजना बना रही है।