भोपाल : भारी बारिश की चपेट के बाद मौसमी बीमारियों ने अपने पैर पसारना प्रारंभ कर दिये है जिसके चलते बडी संख्या में नागरिकों को शारीरिक एवं आर्थिक दोनो प्रकार से परेशान होना पड रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार राजधानी सहित प्रदेश के अनेक जिले डेंगू जैसी बीमारी फैलाने वाले मच्छरों के डंक के शिकार होने लगे हैं। संबधित विभाग की घोर लापरवाही का खामियाजा प्रदेश के नागरिक उठा रहे हैं जबकि राज्य सरकार द्वारा बजट में कमी नहीं रखी गयी है।
सूत्रों की माने तो विभाग के पास 7.200 करोड रूपये का भारी भरकम बजट बतलाया जाता है। संबधित विभाग की लापरवाही से ही गत बर्ष पांच सैकडा से अधिक नागरिकों को अपनी जान से हाथ धोना पडा था। इस बर्ष भी जिस प्रकार की सूचनायें प्रदेश की राजधानी भोपाल एवं अन्य जिलों से आनी प्रारंभ हुई हैं वह लापरवाही की ओर ईशारा करती है? लोगों की जिन्दगी से खेलते एवं सरकार की योजना पर पानी फेरने के साथ साख पर बट्टा लगाने में संलग्र अधिकारियों के चलते स्थिति दयनीय बनती जा रही है। लगातार डेंगू के मरीज मिल रहे हैं तो वहीं आज भी अनेक पीडित अपनी जीवन से जदेजहद करने की बात सामने आ ही है।
भ्रष्ट्राचार के मामले की बात करें तो पिछले खुलासों को कौन नहीं जानता? गत बर्ष ही लगभग तीस करोड रूपये के पायरेथ्रम को क्रय करने का मामला प्रकाश में आया है। जानकारों के अनुसार क्रय की गयी पायरेथ्रम निहात ही घटिया किस्म की बतलायी जाती है। प्राप्त जानकारी के अनुसार गत बर्ष 2012 में क्रय की गयी उक्त दवा को लघु उद्योग निगम द्वारा भी अमानक बतलाया गया है।
राजधानी सहित जिलों में डेंगू-
प्रदेश की राजधानी भोपाल को डेंगू इस बर्ष पुन: अपनी चपेट में ले लिया है। जांच में प्रदेश के ही चिकित्सा शिक्षा मंत्री शरद जैन के बंगले में ही डेंगू मच्छर का लार्वा पाया गया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार मलेरिया विभाग की टीम दो दिन पहले जब चार इमली, न्यूमार्केट, जवाहर चौक, बारह सौ क्र्वाटर सहित अन्य क्षेत्रों में डेंगू का लार्वा जांचा। विभाग के कर्मचारियों ने लगभग 80 जगहों पर लार्वा मिलने के बाद तत्काल नष्ट किया। प्राप्त जानकारी के अनुसार मलेरिया विभाग के मैदानी अमले ने गत दिवस ही चार इमली, न्यूमार्केट, जवाहर चौक, बारह सौ क्र्वाटर सहित अन्य क्षेत्रों में डेंगू का लार्वा की जांच की थी।
हाई अलर्ट फिर भी लापरवाही-
प्राप्त जानकारी के अनुसार सरकार ने डेंगू सहित अन्य बरसाती बीमारियों के मामले को लेकर जहंा पैसे की कमी नहीं रखी है तो वहीं दूसरी ओर हाई अर्लट भी घोषित कर रखा है। महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रशासन द्वारा इस मामले में हाई एलर्ट के बाद भी आला अफसर व मंत्री लापरवाही अनेक प्रकार के प्रश्रों को जन्म दे रही है? ज्ञात हो कि गत बर्ष ही डेंगू की रोकथाम में काफी मसक्कत करनी पडी थी। सूत्रों की माने तो नेशनल वेटर बॉर्न डिसीज कंट्रोल प्रोग्राम एनवीडीसीपी की गाइडलाइन के अनुसार लार्वा सर्वे व दवाओं के छिडक़ाव के बाद उस घर में अगले सप्ताह पुन: किया जाना आवश्यक हो जाता है। ज्ञात हो कि भ्रष्ट्राचार की भेंट चढे विभाग के द्वारा क्रय की गयी पायरेथ्रेम ने मच्छरों को मारने की जगह उनको पनपने में मदद करने की जमकर चर्चा गत बर्ष रही थी? सूत्रों की माने तो जनता के स्वास्थ्य के लिये उपयोग के लिये सरकार द्वारा दिया गया लगभग तीस करोड पानी में चला गया तथा मौत की आगोश में पहुंच चुके लोगों की जिन्दगियां भी।
भरम बजट भ्रष्ट्रचारियों के लिये दूधारू गाय-
मध्यप्रदेश राज्य का सबसे अधिक बजट वाले विभागों की सूचि में सम्मिलित स्वास्थ्य विभाग इस समय भ्रष्ट्र अधिकारियों के लिये दुधारू गाय साबित हो रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार विभाग का बजट लगभग 7.200 करोड रूपये बतलाया जाता है। इतने भारी भरकम बजट के बाबजूद लगातार स्वास्थ्य सेवाओं में गिरावट,असमय मरीजों का मौत की आगोश में समाना लगातार प्रश्नों को उपजा रहा है। सूत्रों की माने तो उक्त दुधारू गाय को दुहने वाले भ्रष्ट्र अधिकारियों की प्रगति कौन नहीं जानता? प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य के स्वास्थ्य विभाग में 75 हजार कर्मचारी कार्यरत हैं जो अपनी सेवायें 50 जिला चिकित्सालयों में दे रहे हैं। वहीं दूसरी ओर 65 सिविल चिकित्सालय , 333 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 1152 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तथा 8859 उपस्वास्थ्य केंद्रों सहित अन्य जगहों पर सेवायें दे रहे हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार नगरीय क्षेत्रों में इसके अलावा लगभग 80 डिस्पेंसरियां स्थापित हैं।
हो चुके हैं खुलासे-
उक्त भारी भरकम बजट वाले विभाग में हुये भ्रष्ट्राचार तथा उसमें लिप्त अधिकारियों के नाम लगातार गत बर्षों में सामने आते रहे हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार गत 09 बर्षों में सामने आये भ्रष्ट्राचार के मामले में लगभग छै:सौ करोड रूपयों का मामला सामने आ चुका है। बतलाया जाता है कि 2005 में केंद्र के राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के समय से ही घोटालों का सिलसिला प्रारंभ हुआ था। बर्ष 2007 में तत्कालीन स्वास्थ्य संचालक डॉ. योगीराज शर्मा एवं उनके नजदीकी संबध रखने वाले व्यापारी अशोक नंदा के लगभग 21 स्थानों पर आयकर विभाग ने छापे मार कार्यवाही करते हुये करोड़ों रुपए जप्त किए थे। वहीं बर्ष 2008 में स्वास्थ्य संचालक बने डॉ. अशोक शर्मा तथा अमरनाथ मित्तल के यहां आयकर विभाग ने छापे मारे थे जहां भी भारी संपत्ति एवं रूपयों को जप्त किया था। विभाग के ही सूत्रों के अनुसार फिनाइल, ब्लीचिंग पाउडर से लेकर मच्छरदानी, ड्रग किट, कंप्यूटर तथा सर्जिकल उपकरण क्रय करने में कडोरों का घोटाला हुआ है। मध्यप्रदेश में उक्त विभाग के भ्रष्ट्राचार किस हद तक फैला हुआ है आप इस बात से ही अंदाजा लगा सकते हैं कि लगभग 42 मामले लोकयुक्त के पास लंबित हैं । यह तो वह हैं जिनका खुलासा हो चुका है।
शासकीय की जगह निजि पैथालॉजी में जांच-
भले ही प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह ने प्रदेश के नागरिकों को स्वास्थ्य सेवाओं को दुरूस्त बनाने मरीजों के लिये नि:शुल्क दवाओं एवं जांच की व्यवस्था की गयी हो परन्तु स्थिति क्या हो रही है सर्वविदित है?
कमीशन बाजी के चक्कर में लगातार लोगो के स्वास्थ्य से खिलवाड किया जा रहा है। मामला चाहे रक्त,मल मूत्र,कफ,इत्यादि की जांच हो या फिर दवाओं की जांच का मामला हो? प्राप्त जानकारी के अनुसार विभाग द्वारा दवाईयों के क्रय करने लिए लगभग पन्द्रह कंपनियों को पंजीकृत किया गया है। @ डा.एल.एन.वैष्णव