नई दिल्ली- 12 साल पुराने एनकाउंटर में मारी गई इशरत जहां केस में कोर्ट द्वारा नियुक्त एसआईटी जांच टीम के सदस्य रहे आईपीएस अफसर सतीश वर्मा ने बुधवार को फिर कहा कि इशरत जहां का एनकाउंटर फर्जी था।
इसके साथ ही उन्होंने इस मामले में खुद पर तत्कालीन गृह मंत्री पी चिदंबरम के किसी भी दबाव के आरोप को खारिज किया है। उन्होंने तत्कालीन अंडर सेक्रेटरी को सिगरेट से दागने की घटना से भी इनकार किया
इंडिया टुडे टीवी से बातचीत में आईपीएस अफसर वर्मा ने इशरत मामले में उस समय गृह मंत्रालय की ओर से गुजरात हाईकोर्ट में शपथपत्र दाखिल करने वाले आंतरिक सुरक्षा विभाग में अंडर सेक्रेटरी रहे आरवीएस मणि के इन आरोपों से इनकार किया कि उन्होंने (वर्मा) मणि को टार्चर किया था और सिगरेट से दागा था। वह इशरत मामले में पूछ गए सवालों का जवाब दे रहे थे।
तीन सदस्यीय एसआईटी टीम के सदस्य रहे और इस समय शिलांग स्थित एनईईपीसीओ में मुख्य सतर्कता अधिकारी सतीश वर्मा ने चिंता जताते हुए कहा कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि उसका उपयोग एक गंभीर अपराध को नकारने में किया जा रहा है जो कि चरम अवैध है।
इशरत मामले पर बयान
बयान के मुताबिक इशरत 1 मई 2004 को पहली बार जावेद से मिली थी और 15 जून 2004 को मुठभेड़ में मारी गई। इन 45 दिनों में वह 10 दिन के लिए जावेद के साथ यूपी और गुजरात गई और होटल में रुकी। इसके अलावा पूरी जिंदगी में उसका कॉलेज से गैर-हाज़िर रहने का रिकॉर्ड नहीं है। वह गरीब परिवार से थी और ट्यूशन पढ़ाती थी, वहां भी उसके ग़ैर हाज़िर रहने का रिकॉर्ड नहीं है। इसलिए मेरा सवाल ये हैं कि लश्कर के एक आतंकी की ट्रेनिंग के लिए कितना समय चाहिए और दूसरा यह कि एक फ़िदायीन की ट्रेनिंग के लिए कितना समय चाहिए। यह पूरी तरह से बकवास है। सच यह है कि इशरत की मौत कोलैटरल डैमेज थी क्योंकि वह तीन संदिग्ध लोगों के साथ थी। इशरत के बारे में कोई खुफिया जानकारी नहीं थी। इसलिए उसकी मौत के बाद उसे आतंकी बताने की कोशिश शुरू हो गई। यह सब उसी मुहिम का हिस्सा था, जो कि काफी अमानवीय, असंवेदनशील और गलत बात थी।
वर्मा ने इसके साथ ही इशरत के लश्कर से संबंध होने से इनकार करते हुए कहा कि यह कैसे संभव है कि वह अपने परिवार से मात्र 10 दिन दूर रही इसमें उसने लश्कर से प्रशिक्षण लिया और सुसाइड बांबर बन गई हो।
गौरतलब है कि 15 जून 2004 को इशरत जहां, जावेद शेख, अमजद राणा और जीशान जौहर नाम के चार कथित आतंकियों को अहमदाबाद में हुए एक एनकाउंटर में मार गिराया गया था। एनकाउंटर के संबंध में गुजरात पुलिस के इंटेलिजेंस डिपार्टमेंट ने खुलासा किया था कि ये सभी लश्कर-ए-तैयबा के टेररिस्ट थे, जो गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी की हत्या करने आए थे। कांग्रेस ने गुजरात सरकार पर फर्जी एनकाउंटर का आरोप लगाया था।