उज्जैन : बड़नगर तहसील के लोहारिया गांव में दिवाली के दूसरे दिन गावेर्धन पूजा पर लोहारियां गांव में ‘गाय गौहरी’ का पर्व मनाया गया। सालों से चली आ रही इस अजीब परंपरा में मन्नत पूरी होने के बाद सड़क पर लेटे लोगों को सैकड़ों गाय कुचलते हुए गुजर गईं।
उज्जैन की बड़नगर तहसील के गांव भिड़ावद और झाबुआ जिले में ‘गाय गौहरी’ का पर्व परंपरागत रूप से मनाया जाता है। कहते हैं गायों के ऊपर से गुजरने के बाद भी श्रद्धालुओं को खरोंच तक नहीं आती। चोट आने पर वे गव्य मूत्र एवं गोबर से प्राथमिक उपचार करते हैं। आदिवासी अंचल में इंसान जमीन पर लेटते हैं और गायें बिना गंभीर क्षति पहुंचाए इन पर से गुजर जाती हैं।
ग्रामीण बताते हैं कि ग्राम के एक शख्स के यहां पुत्र होने की मन्नत के साथ ही यह गाय और गोहरी कार्यक्रम प्रारंभ हुआ था। तब से आस्था का यह पर्व ग्रामीण प्रति वर्ष मनाते हैं। आदिवासी अंचल में गोबर की बजाए जीते-जागते इंसान जमीन पर लेटते है और गायें बगैर कोई गंभीर क्षति पहुंचाए इन पर से गुजर जाती है।