मुंबई- मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने केंद्रीय वित्तमंत्री अरूण जेटली के आरोपों पर पलटवार करते हुए भाजपा से सवाल किया कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या के बाद सरदार पटेल ने आरएसएस पर बैन क्यों लगाया था।
रविवार को जेटली ने भाजयुमों के कार्यक्रम में 1942 भारत छोड़ो आंदोलन के बहाने वामपंथियों से सवाल पर येचुरी ने कहा कि 1992 में संसद के सेंट्रल हाल में आयोजित एक कार्यक्रम में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा ने आजादी की लड़ाई में वामपंथियों के योगदान का जिक्र किया था। इसलिए आजादी की लड़ाई में वामदलों के योगदान के बारे में पूछने के बजाय भाजपा यह बताए कि आरएसएस ने उस समय एक संगठन के नाते अपनी भूमिक क्यों नहीं निभाई।
उन्होंने कहा कि यह बात पूरे देश को पता है कि आजादी की लड़ाई में आरएसएस का कोई योगदान नहीं रहा है। उस समय की आरएसएस की गतिविधियों के बारे में सभी जानते हैं। येचुरी ने कहा कि केंद्र की मौजूदा सरकार हिटलर जैसा बर्ताव कर रही है।
उन्होंने कहा कि भाजपा राष्ट्रवाद का एजेंडा जबरन देश पर थोपने की कोशिश में है। हम लोग सेक्लुरिजम की बात करते हैं, लेकिन भाजपा देश में असहिष्णुता और हिंदूराष्ट्र की वकालत करती है। क्योंकि आरएसएस ही देश को हिंदूराष्ट्र बनाना चाहता है। इसलिए वे लोग देश भक्ति की भावना का दुरूपयोग कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार देश के आम लोगों पर आर्थिक बोझ बढ़ा रही है। राष्ट्रीय बैंकों से 6 लाख करोड़ रूपए का लिया गया कर्ज लोग वापस करने की स्थिति में नहीं है। सरकार ने कर्ज लेने वालों के लिए कर्ज पुनर्गठन की व्यवस्था कर दी है। जबकि सरकार को किसानों के कर्जे का पुनर्गठन करने का निर्णय लेना चाहिए।
केंद्र की भाजपा सरकार आने के बाद किसान आत्महत्या में 26 प्रतिशत बढ़ोत्तरी हुई है। महाराष्ट्र की स्थिति सबसे ज्यादा नाजुक है। येचुरी ने कहा कि सरकार ने बजट में राजस्व घाटे को छिपाकर रखा।
फिलहाल 6 लाख 11 हजार करोड़ रूपए का राजस्व घाटा है। लेकिन इसका जिक्र केवल बजट के पन्नों में है। इस पर कोई चर्चा के लिए तैयार नहीं है।
उन्होंने कहा कि सरकार की नीतियों के खिलाफ जनआक्रोश बढ़ रहा है। इसलिए भाजपा लोगों का ध्यान भटकाने के लिए नए-नए मुद्दों को सामने ला रही है।