नई दिल्लीः प्रधानमंत्री की भतीजी दमयंती बेन के साथ शनिवार को हुई झपटमारी की घटना के बाद दिल्ली में सुरक्षा व्यवस्था पर फिर से सवाल उठने लगे हैं। झपटमारी का शिकार हुए अन्य लोगों ने सोशल मीडिया पर दिल्ली पुलिस को घेरना शुरू कर दिया है। लोगों का कहना है कि पुलिस को अन्य वारदातों को सुलझाने में भी मुस्तैदी दिखानी चाहिए।
पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक इस साल 30 सितंबर तक झपटमारी के दर्ज मुकदमों में सिर्फ आधे ही सुलझ पाएं हैं। 4,762 मुकदमे दर्ज किए गए थे जिनमें 2,686 सुलझ पाए।
Dear @DelhiPolice I was robbed exactly two years ago, in which my mobile was taken away. After much persuasion FIR was registered BUT nothing happened thereafter, till today. Why ?
Perhaps only reason is that @narendramodi is not my uncle or you have better reason? @DCPEastDelhi— Ashish Dixit (@adixit_adv) October 14, 2019
सोशल मीडिया पर एक पीड़ित आशीष दीक्षित ने सोमवार को दिल्ली पुलिस को से टैग करते हुए कि दो साल पहले उसके साथ लूट की घटना हुई थी। बहुत कोशिशों के बाद एक एफआईआर दर्ज हुई थी, लेकिन उसके बाद आज तक मामले में कुछ नहीं हुआ। दीक्षित ने पीएम की भतीजी के मामले को सुलझाने में दिखाई तत्परता के लिए पुलिस पर तंज भी कसा।
राजधानी में किसी वीवीआईपी या खास के साथ वारदात होती है तो पुलिस बेहद कम समय में उसे सुलझा लेती है। उधर, आम लोगों को पुलिस से ज्यादातर निराशा ही हाथ लगती है। प्रधानमंत्री की भतीजी के मामले को भी पुलिस ने 24 घंटे के भीतर सुलझा लिया। पुलिस के आंकड़ों पर नजर डालें तो हर साल झपटमारी और लूटपाट के औसतन 50 फीसदी मामले ही सुलझ पाते हैं।
वीवीआईपी लोगों के मामले में केस को हल करने का प्रतिशत 95 फीसदी के आसपास है। वहीं वरिष्ठ पुलिस अधिकारी दावा करते हैं कि पुलिस के लिए हर पीड़ित महत्वपूर्ण है। पुलिस किसी के साथ भी कोई भेदभाव नहीं करती।
झपटमारी की वारदात
वर्ष वारदातें
2019 4762
2018 6932
2017 8231
2016 9571
2015 9896
2014 7350
(2019 के आंकड़े 1 जनवरी से 30 सितंबर तक)
देश की राजधानी दिल्ली को सुरक्षा के लिहाज से बहुत अच्छा नहीं माना जाता। महिला सुरक्षा के नाम पर तो राजधानी की स्थिति और ज्यादा खराब है।
रोजाना होती हैं औसतन 18 झपटमारी व छह लूट की वारदात
सूत्रों के मुताबिक पिछले दिनों पुलिस ने राजधानी में अधिक अपराध वाले दो हजार डार्क स्पॉट की पहचान कर वहां सुरक्षा इंतजाम बढ़ाए हैं, इसके बाद भी बदमाश, वारदात को अंजाम देने में कामयाब हो रहे हैं। राजधानी में रोजाना औसतन झपटमारी की 18 और लूट की छह वारदात हो रही हैं।
राजधानी के डार्क स्पॉट वह स्थान हैं जहां बदमाश सबसे ज्यादा लोगों को शिकार बनाते हैं। इनमें मेट्रो स्टेशन, रेलवे स्टेशन, पॉश कॉलोनी और व्यस्त बाजार प्रमुख हैं। तड़के और शाम के समय झपटमारी और लूटपाट करने वाले सबसे ज्यादा सक्रिय रहते हैं।
पुलिस की गिरफ्त में आए आरोपी गौरव उर्फ नोनू ने भी इस बात का खुलासा किया कि सुबह के समय सड़कों पर पुलिस की मौजूदगी काफी कम होती है। ऐसे में उन्हें अपराध करने में कोई डर नहीं लगता। वारदात को अंजाम देने के बाद आरोपी बड़े आराम से फरार हो जाते हैं।
मधु विहार में महिला उषा रानी और ज्योति नगर में राजुल सिंघल की लूटपाट का विरोध करने पर बदमाशों ने गोली मारकर हत्या तक कर दी थी। मामले में अब तक पुलिस के हाथ खाली हैं।
वारदात वाले स्थान
आनंद विहार, विवेक विहार, जगतपुरी, जामा मस्जिद, गोविंदपुरी, जीटीबी एंक्लेव, शाहदरा, यमुना विहार, भजनपुरा, द्वारका मोड़, उत्तम नगर, जनकपुरी वेस्ट, जनकपुरी ईस्ट, कृष्णा नगर, मदर डेयरी, पांडव नगर, तिलक नगर, शादीपुर, चांदनी चौक, कश्मीरी गेट, आदर्श नगर, डीयू, जहांगीरपुरी, मयूर विहार, न्यू अशोक नगर आदि स्थानों पर झपटमारों का काफी आतंक है।
दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि स्ट्रीट क्राइम पर लगाम लगाने के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं। इसके तहत हर जिले में एक-एक प्रखर वैन की शुरुआत की गई है जो पूरे जिले में लगातार पेट्रोलिंग करती है। 24 घंटे वाली पिकेट का भी इंतजाम किया गया है।
पीसीआर के अलावा ट्रैफिक पुलिस के जवानों को भी बदमाशों की धरपकड़ के लिए कहा गया है। हर थाने में रफ्तार बाइकों की तैनाती के अलावा कई जिलों में जगुआर पेट्रोलिंग शुरू की गई है। पुलिस आयुक्त का दावा है कि सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने से स्ट्रीट क्राइम में 20 फीसदी तक कमी आई है।