15 अगस्त को लाल किले पर होने वाले कार्यक्रम में कई तरह की पाबंदियां होंगी। कोरोना काल में सिर्फ 20 प्रतिशत वीवीआईपी या अन्य लोग ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण के गवाह बनेंगे। स्कूली बच्चों को समारोह में शामिल नहीं किया जाएगा।
नई दिल्लीः कोरोना वायरस ने हमारी जिंदगी को पूरी तरह से बदलकर रख दिया है। अब कोरोना का असर इस साल के स्वतंत्रता दिवस के समारोह पर भी पड़ेगा। 15 अगस्त को लाल किले पर होने वाले कार्यक्रम में कई तरह की पाबंदियां होंगी। कोरोना काल में सिर्फ 20 प्रतिशत वीवीआईपी या अन्य लोग ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण के गवाह बनेंगे। स्कूली बच्चों को समारोह में शामिल नहीं किया जाएगा।
रक्षा सचिव अजय कुमार और एएसआई निदेशक पिछले हफ्ते लाल किला का जायजा ले चुके हैं। बताया जा रहा है कि इस बार कार्यक्रम पूरी तरह से अलग होगा। बैठने की व्यवस्था में भी बदलाव किया जाएगा। कैडेट्स और नेशनल कैडेट कॉर्प्स भी इस साल लाल किले पर होने वाले समारोह में शामिल नहीं होंगे।
वीवीआईपी पहले की तरह लाल किले की प्राचीर पर नहीं बैठ पाएंगे, जहां से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को संबोधित करेंगे। पहले दोनों तरफ करीब 900 वीवीआईपी बैठते थे, लेकिन इसबार सिर्फ 100 लोगों को ही अनुमति मिलेगी और उन्हें प्राचीर के निचले स्तर पर बैठना होगा।
सूत्रों के अनुसार 15 अगस्त के दिन लाल किले पर होने वाले कार्यक्रम में 1500 के करीब ऐसे लोग शामिल होंगे, जिन्होंने कोरोना से जंग जीती है। इनमें 500 स्थानीय पुलिस के लोग होंगे और अन्य एक हजार लोग देश के विभिन्न हिस्सों से इसमें भाग लेंगे।
पिछले साल तक, प्रधानमंत्री के भाषण को सुनने व देखने के लिए कम से कम 10 हजार लोग समारोह में शामिल होते थे। हाल ही में एक बैठक में रक्षा मंत्रालय ने निर्णय लिया कि कोरोना को हराने वाले लोगों को स्वतंत्रता दिवस समारोह में भाग लेने के लिए बुलाया जाए। इसके बाद गृह मंत्रालय ने योजना के अनुसार इसपर काम शुरू कर दिया है।