बलरामपुर : उत्तर प्रदेश के सोहेलवा जंगल में अवैध कटाई की शिकायत मुख्य वन संरक्षक से करना एक दलित युवक को मंहगा पड़ गया। आरोप है कि उप वन संरक्षक (डीएफओ) के सामने वनकर्मियों ने दलित युवक को बंधक बनाकर जमकर पिटाई की और उसे पेशाब तक पिलाई।
पचपेड़वा थाना क्षेत्र के जूड़ीकुईया बरगदवा सैफ के रहने वाले गुरु प्रसाद ने बताया कि उन्होंने सोहेलवा जंगल में लगातार हो रही अवैध कटाई की शिकायत मुख्य वन संरक्षक देवी पाटन मंडल कुरविला थॉमस से कई बार की थी।
पूर्व में मुख्य वन संरक्षक ने शिकायतकर्ता के साथ जाकर सोहेलवा जंगल में हो रही अवैध कटाई और जंगल के बीच संचालित अवैध ईंट भट्ठों का निरीक्षण भी किया था।
बुरी तरह मारपीट की
गुरु प्रसाद ने बताया कि 8 अप्रैल को वह निजी कार्य से वीरपुर से चंदनपुर की ओर जा रहा था। रास्ते में सेमरा गांव के पास उसे फॉरेस्टर सूरज पाण्डेय और फॉरेस्ट गार्ड धर्मेंद्र यादव ने देखते ही अपशब्द कहे और बाइक से खदेड़ लिया। कुछ दूर जाने के बाद उसे दोनों ने पकड़ लिया।
दोनों वनकर्मी उसे पीटते हुए वीरपुर गेस्ट हाउस ले गए। उस वक्त गेस्ट हाउस पर डीएफओ और भांभर रेंज के रेंजर भी मौजूद थे। यहां उसका मोबाइल छीना और चार घंटे तक बंधक बनाकर रखा।
गुरु प्रसाद ने यहां तक आरोप लगाया कि दोनों ने उसे पेशाब तक पिलाई। उसे इस शर्त पर छोड़ा कि अब वह कभी जंगल में हो रही अवैध कटाई की वह शिकायत नहीं करेगा।
कई बड़े अधिकारियों से की शिकायत
शिकायतकर्ता ने जब उच्चाधिकारियों को शिकायत की तो डीएफओ ने उसे जांच के लिए बुलाया, लेकिन वह डर के कारण उनसे नहीं मिला। 9 अप्रैल को पीड़ित ने घटना की शिकायत पचपेड़वा थाने पर की लेकिन वहां की पुलिस ने दो दिन इंतजार करने को कहा।
दो दिन बाद कार्रवाई ना होने पर पीड़ित ने 12 अप्रैल को घटना की शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, मानवाधिकार आयोग, अनुसूचित जाति आयोग, मुख्य वन संरक्षक, आईजी, डीआईजी सहित कई अधिकारियों से की। 14 अप्रैल को पीड़ित ने पुलिस अधीक्षक और मुख्य वन संरक्षक देवी पाटन मंडल से मिलकर कार्रवाई की मांग की है ।
अधिकारियों की दलील
घटना पर प्रभागीय वनाधिकारी रुस्तम परवेज ने कहा कि मौखिक शिकायत मिलने के बाद जांच के लिए पीड़ित को बुलाया गया था, लेकिन वह नहीं आया। मुख्य वन संरक्षक देवी पाटन मंडल के थॉमस ने कहा कि उन्हें शिकायत मिली है। मामले की जांच कर कार्रवाई की जाएगी।
वहीं, पुलिस अधीक्षक प्रमोद कुमार ने बताया कि उन्होंने शिकायत के बाद मामले की जांच सीओ तुलसीपुर को सौंप दी है। मामला सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ का है, इसलिए सीधे कार्रवाई नहीं की जा सकती है।