राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ से जुड़े एक दलित संगठन ने गुजरात विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राज्य में चार महीने के एक कार्यक्रम की शुरुआत की है। भारतीय बौद्ध संघ के अध्यक्ष भांते संघप्रिय राहुल ने कहा कि वो चाहते हैं कि समुदायों के बीच की दूरियां खत्म हों और यह सोच खत्म हो जाए कि आरएसएस और बीजेपी दलितों के खिलाफ हैं। उन्होंने आगे कहा कि गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी 30 जून को दलित रथ यात्रा का आयोजन करेंगे।
उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले भी इसी तरह का अभियान चलाने वाले राहुल ने कहा, “कई ऐसे लोग हैं जो भारतीय जनता पार्टी की नीतियों को पसंद नहीं करते और लोगों के बीच आरएसएस व बीजेपी की छवि खराब करने के लिए दलित-विरोधी होने का आरोप लगाते हैं। ऊना जैसी घटनाओं से भी काफी नुकसान पहुंचा है।
आरएसएस और बीजेपी से बड़ा दलिता का समर्थक और कोई नहीं है।” राहुल ने बताया कि यह रथ यात्रा अक्टूबर माह में सोमनाथ में समाप्त होगी। इसके समापन पर पीएम नरेंद्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे भी मौजूद होंगे।
राहुल ने आगे बताया कि वो समुदाय के ऐसे लोगों से भी मिलेंगे जिन्हें छुआछूत समझा जाता है। उन्होंने कहा, “हमने कुछ गांवों की सूचि तैयार की है जहां दलित और ऊंची जात वालों के बीच दरार साफ दिखाई देती है। गांधीनगर जिले में चौधरी वासना नाम का ऐसा ही गांव है।
हम अपर कास्ट के नेताओं को रथ यात्रा में शामिल होने का न्यौता देंगे ताकि लोगों के बीच भेदभाव खत्म होने में मदद मिले।” राहुल ने दावा किया कि यह रथ यात्रा कोई राजनीतिक कदम नहीं है। हम इस तरह की रैलियां कई राज्यों में करते हैं। उन्होंने कहा कि उनका लक्ष्य दलितों को ईसाइयों और मुस्लिमों के झांसे में आने से बचाना है। उन्होंने कहा कि बुद्ध और हिन्दू दो ऐसे धर्म हैं जिनका जन्म भारत में हुआ और दलित इनमें से किसी भी एक का पालन कर सकते हैं।