भारत के सबसे बड़े वांछित दाऊद इब्राहिम की दुनियाभर में मौजूद संपत्ति भले ही जब्त कर ली गई हो, लेकिन अंडरवर्ल्ड डॉन ने संगठित अपराध के जरिये अर्जित धन को पाकिस्तान स्टॉक एक्सचेंज (पीएसएक्स) में निवेश करना जारी रखा है।
ये निवेश विभिन्न पूंजी प्रतिभूति कंपनियों के माध्यम से पीएसएक्स के अंतर्गत आने वाले सभी तीन एक्सचेंजों में किए जा रहे हैं।
भारतीय एजेंसियां दाऊद के खिलाफ पीएसएक्स में अपने अवैध धन निवेश करने के सबूत हासिल कर रही हैं। दाऊद ने यह धन मादक पदार्थो की तस्करी, हथियारों की तस्करी, जाली भारतीय मुद्रा (एफआईसीएन) का गिरोह चलाने और जबरन वसूली करके हासिल की है।
आईएएनएस के अनुसार लंदन की जेल में बंद डी-कंपनी का संदिग्ध जाबिर मोती लगभग पांच पूंजी प्रतिभूति कंपनियां चलाता है। ये सभी कंपनियां पीएसएक्स में 2016 में विलय करने वाली कराची स्टॉक एक्सचेंज से चलती हैं।
कंपनियों के जाबिर मोती से संबंध के अलावा, दाऊद कई फर्जी कंपनियों के माध्यम से हबीब बैंक की सहयोगी और पाकिस्तान की एक शीर्ष इक्विटी ब्रोकरेज कंपनी हबीब मेट्रोपॉलिटन फाइनेंशियल सर्विसेज (एचएमएफएस) में भी भारी निवेश कर रहा है।
खुफिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हबीब बैंक के शीर्ष प्रबंधन से दाऊद का परिचय पूर्व क्रिकेटर, हबीब बैंक के पूर्व वरिष्ठ उपाध्यक्ष और दाऊद की बेटी मेहरीन इब्राहिम के ससुर जावेद मियांदाद ने कराया था।
हबीब बैंक पर अमेरिका के वित्तीय सेवा विभाग ने 2017 में धन शोधन तथा आतंकवाद से संबंध रखने के आरोप लगाए थे। हबीब बैंक नेपाल में डी-कंपनी के संचालन में सहयोग करने में भी संदिग्ध है, क्योंकि यह एक संयुक्त परियोजना के अंतर्गत नेपाली हिमालयन बैंक का संचालन करती है।
खबरों के अनुसार, साल 2012 के आसपास दाऊद इब्राहिम कराची स्टॉक एक्सचेंच के तत्कालीन निदेशक जफर मोती के पारिवारिक सदस्य और डी-कंपनी के कुख्यात सदस्य जाबिर मोती के माध्यम से उसके संपर्क में आया। स्कॉटलैंड यार्ड की पुलिस ने एफबीआई की सूचना पर जाबिर मोती को लंदन स्थित एक होटल से अगस्त, 2018 में गिरफ्तार किया था।
एफबीआई ने डी-कंपनी के मादक पदार्थो की तस्करी से कमाए गए धन को जब्त कर जाबिर मोती को गिरफ्तार कर लिया और लंदन स्थित अदालत में उसके ऊपर प्रत्यर्पण का मामला चल रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जाबिर कराची में स्टॉक एक्सचेंज मार्ग पर पाकिस्तान स्टॉक एक्सचेंज इमारत में पहली मंजिल पर कमरा संख्या 54-55 में स्थित मोती जफर मोती पूंजी प्रतिभूति प्राइवेट लिमिटेड का निदेशक है।
कंपनी का सीईओ जफर मोती है, जो कुछ अन्य कंपनियां भी संचालित करता है। एक अन्य कंपनी बीआरपी-एमएसी प्रतिभूति प्राइवेट लिमिटेड, जिसकी मालिक कथित रूप से जफर की पत्नी अफसान मोदी है। कंपनी कराची में दाऊद के एक ठिकाने के पास स्थित है।
सरकार में उच्च पदस्थ सूत्रों ने कहा कि एक बार दाऊद इब्राहिम द्वारा अपने सहयोगी जाबिर मोती के माध्यम से पाकिस्तानी शेयर बाजार में निवेश किया गया अवैध धन मिल जाए, तो पाकिस्तान की आतंकवाद पर दोहरी नीति और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई का अंतर्राष्ट्रीय अपराधियों के साथ संबंध का खुलासा हो जाएगा।
भारतीय एजेंसियां भी लंदन में वेस्टमिंस्टर अदालत में जाबिर के प्रत्यर्पण पर नजर रखे हुए हैं।
जाबिर मोती पर विदेशों में गिरोह को मादक पदार्थ पहुंचाने का भी आरोप है। एफबीआई ने लंदन की अदालत में खुलासा किया, “पाकिस्तानी नागरिक जाबिर डी-कंपनी में शीर्ष प्रतिनिधि है और यह सीधे दाऊद इब्राहिम को रिपोर्ट करता है। मादक पदार्थो की तस्करी का आरोपी जाबिर पर डी-कंपनी की तरफ से 14 लाख डॉलर का धन शोधन करने का आरोप है।”
एफबीआई जहां जाबिर मोती के प्रत्यर्पण की सुनवाई प्रक्रिया जोरों से चला रहा है, वहीं लंदन स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग इस पूरी प्रक्रिया को विफल करने की पूरी कोशिश कर रहा है, क्योंकि अमेरिका में उसके मामले की सुनवाई होने पर पाकिस्तान के स्टॉक एक्सचेंज और डी-कंपनी के संगठित अपराध तथा आतंकवाद अभियानों के बीच संबंध का खुलासा हो जाएगा।