नई दिल्ली – मुंबई में 1993 में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के बाद गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम आत्मसमर्पण करना चाहता था और इस बारे में उसने सीबीआई के तत्कालीन डीआईजी नीरज कुमार से बात भी की थी, लेकिन कुछ कारणों से जांच एजेंसी ने उसके इस ऑफर को स्वीकार नहीं किया।
1993 में 13 सीरियल धमाकों में 257 लोगों की मौत हो गई थी और 700 से ज्यादा लोग इसमें घायल हुए थे। इस घटना के लिए दाऊद इब्राहिम को जिम्मेदार ठहराया गया था।
एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक नीरज कुमार ने बताया कि उन्होंने जून 1994 में तीन बार दाउद इब्राहिम से बात की थी। कुमार तब इस मामले की जांच कर रहे थे। कुमार ने बताया कि दाउद हर बात का जवाब देने को तैयार था। लेकिन वह एक बात को लेकर फिक्रमंद था। उसे इस बात की चिंता थी कि कहीं आत्मसमर्पण के बाद उसके दुश्मन उसे जान से न मार दें।
हालांकि, कुमार ने दाउद को सीबीआई की ओर से सुरक्षा की पूरी गारंटी दी थी। लेकिन बात आगे बढ़ती इससे पहले ही सीबीआई के आला अधिकारियों ने उन्हें रोक लिया।
नीरज कुमार ने बताया कि दाऊद ने दावा किया था कि मुंबई बम धमाके में उसका कोई हाथ नहीं था। हालांकि पुलिस के पास दाऊद के खिलाफ काफी सबूत थे। मुंबई पुलिस के बाद सीबीआई को इस मामले की जांच सौंपी गई थी।
कुमार ने बताया कि दाऊद से उनका संपर्क मनीष लाला ने करवाया था। वह दाऊद का कानूनी रणनीतिकार था। लाला के पास कानून की कोई आधिकारिक डिग्री नहीं थी, लेकिन वह कानून की गहरी समझ रखता था। लाला से कुमार की मुलाकात मुंबई की आर्थर रोड जेल में हुई थी।
नीरज कुमार ने बताया कि दाऊद गैंग के कुछ गुर्गों से पूछताछ के दौरान उन्हें मनीष लाला के बारे में पता चला। इसके बाद जब उन्होंने लाला के ठिकानों पर छापेमारी शुरू की। बाद में जेजे अस्पताल शूटआउट के एक अन्य मामले में उसने सरेंडर कर दिया। इसके बाद वह लाला से मिलने ऑर्थर रोड जेल गए।
मनीष लाला ने दाऊद से कहा, मेरे साथ सीबीआई के साहब बैठे हैं। वह सही लगते हैं। आपने जो भी मुझसे कहा है वह उन्हें भी आराम से बता सकते हैं। 4 जून 1998 को दाऊद के दुश्मन छोटा राजन के गुर्गों ने लाला की हत्या कर दी थी।
कुमार का कहना है कि लाला उनके शालीन व्यवहार का कायल हो गया था। उसी ने दाऊद के आत्मसर्मपण करने की इच्छा का खुलासा किया था और कहा था कि वह मुंबई के सीरियल धमाकों में अपनी बेगुनाही साबित करना चाहता है।
नीरज कुमार अंडरवर्ल्ड के मामलों का एक्सपर्ट माना जाता है। भारतीय पुलिस सेवा में बिताए अपनी 37 साल की सर्विस के दौरान की टॉप 10 तहकीकतों पर वह एक किताब लिख रहे हैं। इसी किताब में एक चैप्टर उनकी और अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद की बातचीत पर होगा। यह किताब कुछ समय बाद आएगी।
कुमार से पहले वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी भी यह दावा कर चुके हैं कि 1993 के धमाकों के बाद दाऊद ने उन्हें फोन किया था। जेठमलानी ने भी कहा था कि दाऊद सरेंडर करना चाहता था लेकिन उसकी शर्त थी कि मुंबई पुलिस उसे ‘टॉर्चर’ नहीं करेगी और घर में ही नजरबंद रखेगी। मगर सरकार शर्तों के साथ समर्पण को तैयार नहीं हुई थी।