दिल्ली से एक शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है। यहां तीन सगी नाबालिग बहनों की भूख की वजह से मौत हो गई। लेकिन घर में बैठी मां को अपनी बेटियों की मौत का पता तक नहीं चला। तीनों लड़कियों की उम्र क्रमश: दो साल, चार साल और आठ साल बताई जा रही है।
मंगलवार की दोपहर करीब एक बजे पड़ोसियों ने तीनों बहनों को घर के एक कमरे में बेहोशी की हालत में पाया। उनके शरीर पर किसी तरह के चोट के निशान नहीं थे। उसके बाद तीनों को अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। इस मामले पर राजनीति भी शुरू हो गई है।
इस बाबत पूर्वी दिल्ली के डिप्टी कमिशनर ऑफर पुलिस पंकर कुमार सिंह ने बताया कि, “पड़ोसी जब घर के अंदर दाखिल हुए थे, तो देखा कि लड़कियां सुस्त पड़ी हुई थी। वहीं, घर में मौजूद मां को इस बारे में कोई भी जानकारी नहीं थी। इसके बाद पड़ोसी मां के साथ बच्चियों को लाल बहादुर शास्त्री हॉस्पीटल ले गईं। यहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।”
लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल के मेडिकल अधीक्षक ने कहा कि पहली पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार बच्चियों की मौत भूख की वजह से हुई है। डॉक्टरों ने कहा कि बच्चियों के पेट से अन्न का एक दाना भी नहीं निकला। भूख से मौत की पुष्टि के लिए एक बार और पोस्टमार्टम किया जाएगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कुछ ही दिन पहले वह परिवार मंडावली में अपने रिश्तेदार के यहां रहने आयी थी। इससे पहले वे लोग दूसरे जगह रहते थे। लड़कियों के पिता मजदूरी का काम करते हैं। लेकिन वह भी मंगलवार से लापता हैं।
वहीं मां मानसिक रूप से विक्षिप्त बताई जाती है। तीनों बच्चियों की मौत के बाद मां के पास अंतिम संस्कार के लिए पैसे नहीं थे। ऐसी स्थिति में पड़ोसियों ने चंदा इकट्ठा कर अंतिम संस्कार किया।
वहीं, इस पूरे मामले पर राजनीति भी शुरू हो गई है। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि मंडावली में तीन बच्चियों की मौत की घटना की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए गए हैं। यह परिवार दो दिन पहले ही मंडावली में एक मकान में रह रहे किराएदार के यहां मेहमान आया था।
घटना से पहले ही बच्चियों के मजदूर पिता काम पर गए थे, जो वापस नहीं लौटे हैं। मां भी पहले से मानसिक बीमार है। वहीं, दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने कहा कि दिल्ली के मंडावली में भूख से तीन बच्चों की मौत हो जाती है। रिपोर्ट के लिए पोस्टमाॅर्टम को लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल से जीटीबी अस्पताल में करवाया जा रहा है। इस परिवार का राशन कार्ड तक नहीं बना है।
कांग्रेस के शासन काल में राशन कार्ड की संख्या 33.5 लाख थी, जो अब 15 लाख रह गई है। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि यह घटना उस दिल्ली में हो रही है जहां की सरकार गरीबों को राशन कार्ड में खुद को सबसे बेहतर बताती है।