सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के 15 बागी विधायकों की याचिका पर बुधवार को अपना फैसला सुना दिया है।
फैसले में कोर्ट ने कहा है कि विधानसभा अध्यक्ष विधायकों के इस्तीफों पर फैसला लें। लेकिन अध्यक्ष पर किसी समस सीमा में फैसला लेने के लिए दबाव नहीं डाला जाएगा।
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विधायकों को भी विधानसभा में मौजूद होने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा।
बता दें इस फैसले से 14 महीने पहले बनी कुमारस्वामी सरकार को तगड़ा झटका लगा है। विधायकों द्वारा दायर इस याचिका में कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष को कांग्रेस-जेडीएस के बागी विधायकों के इस्तीफे स्वीकार करने की मांग की गई थी।
कर्नाटक विधानसभा में कुल 224 सीटें हैं। अगर स्पीकर को हटा दिया जाए सीटों की संख्या 223 हो जाती है। ऐसे में बहुमत के लिए 112 सीटें जरूरी हैं। मौजूदा गठबंधन सरकार के पास 116 सीट (कांग्रेस 78 +जेडीएस 37 + बसपा 1) हैं।
अगर कल विश्वास मत में इस्तीफा देने वाले 16 विधायक शामिल नहीं होते हैं कि तो सदन में 207 सीटों पर ही वोटिंग होगी। जिसमें बहुमत के लिए 104 सीट जरूरी हैं।
ऐसे में कुमारस्वामी सरकार के पास केवल 100 ही सीटें बचती हैं। जबकि भाजपा के पास 105 विधायकों और दो निर्दलीय को मिलाकर कुल 107 सीटें हैं।
बागी विधायकों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी का कहना है, कल होने वाले विश्वास मत को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दो जरूरी बातें कही हैं- 15 विधायकों को कल विधानसभा में पेश होने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा। सभी 15 विधायकों को कल सदन जाने या ना जाने की छूट दी गई है।
रोहतगी ने आगे कहा, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उनके खिलाफ (बागी विधायक) तीन लाइन का जारी हुआ व्हिप ऑपरेटिव नहीं है। दूसरी बात, अध्यक्ष को इस्तीफे के बारे में फैसला करने का समय दिया गया है कि वह कब और क्या फैसला करना चाहते हैं।
भाजपा नेता जगदीश शेट्टर का कहना है, एचडी कुमारस्वामी के कारण राज्य में अराजकता है। उन्हें इस फैसले के बाद तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए और विश्वास मत के लिए इंतजार करना चाहिए।
वहीं कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा का इस फैसले पर कहना है, निश्चित रूप से सरकार नहीं चलेगी क्योंकि उनके पांस नंबर नहीं हैं।
वहीं विधानसभा स्पीकर का इस मामले पर कहना है कि, मैं फैसला सुनाऊंगा जो संविधान, कोर्ट और लोकपाल के विपरीत नहीं होगा।