नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट द्वारा राजधानी में शादियों और अन्य समारोहों में होने वाले खाने और पानी की बर्बादी पर नाराजगी जताने के बाद दिल्ली सरकार ने ऐसे कार्यक्रमों को लेकर मसौदा नीति को अंतिम रूप दिया है। हालांकि, ये स्पष्ट किया है कि ये दिशा-निर्देश राजधानी के सभी बैंक्वेट हॉल और विवाह स्थलों पर लागू नहीं होंगे। नई पॉलिसी के मुताबिक, शादी समारोह में आमंत्रित मेहमानों की संख्या सीमित की जा सकती है।
ये नियम केवल मुख्यतः बाहरी दिल्ली में स्थित फार्महाउस, मोटल और लो डेंसिटी रिहायशी क्षेत्रों (एलडीआरए) में लागू किया जाएगा। इस मसौदे का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि शादियों में मेहमानों की अधिकतम संख्या कार्यक्रम स्थल पर मौजूद पार्किंग की जगह पर निर्भर करेगी। शहरी विकास मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि उम्मीद की जा रही है कि इस वजह से ट्रैफिक की समस्या से निजात मिलेगी। पार्किंग से अव्यवस्था ना हो और ट्रैफिक जाम ना हो, इसकी जिम्मेदारी आयोजन स्थल संचालक की होगी।
जीटी करनाल रोड और टिकरी बॉर्डर के साथ छतरपुर जैसे इलाकों में बने फार्महाउस, बैंक्वेट हॉल और विवाह स्थल इन नियमों के दायरे में आएंगे। सीएम अरविंद केजरीवाल द्वारा बुलाई गई समीक्षा बैठक के बाद इस मसौदे को अंतिम रूप दिया गया। नई पॉलिसी को लागू करने के लिए नोटिफिकेशन जल्द जारी किया जा सकता है। नियम लागू होने के बाद, कार्यक्रम स्थल पर एक मिनी-सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट होना अनिवार्य होगा। आयोजक को किसी भी आयोजन के लिए कार्यक्रम स्थल के संचालक के पास सिक्योरिटी मनी जमा करानी होगी, साथ ही कार्यक्रम से पहले संबंधित संस्था/एजेंसी से इसके लिए एनओसी लेना होगा।
सरकार ने उन आयोजकों और मालिकों पर अर्थदंड लगाने के लिए इसमें एक क्लॉज भी जोड़ा है जो ऐसे समारोहों के लिए अपने निजी पार्किंग स्थलों का उपयोग करते हैं। यदि बिल्डिंग की योजना के अनुसार पार्किंग है, जो टेंट आदि के कब्जे में है, तो अनाधिकृत उपयोग के लिए 15 लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है, यहां तक कि लाइसेंस भी रद्द किया सकता है।
अधिकतम मेहमानों की संख्या कार्यक्रम स्थल के वर्ग मीटर क्षेत्र को 1.5 से विभाजित कर प्राप्त की गई संख्या होगी, या पार्क की जा सकने वाली कारों की संख्या का चार गुना होगी। इस नियम के मुताबिक, इन दोनों में जो भी संख्या कम होगी, उतने ही मेहमान अधिकतम बुलाने की अनुमति होगी। साथ ही ये भी कहा गया है कि कोई भी ऐसे कार्यक्रम एक साल में 120 दिनों से अधिक समारोह का आयोजन नहीं कर सकता है।