13.1 C
Indore
Sunday, December 22, 2024

दिल्ली हिंसा : दिलों में इतना तेज़ाब आया कहाँ से, सरकार और प्रशासन की नाकामी

शाहीनबाग़ संयोग या प्रयोग हो सकता है लेकिन अमरीकी राष्ट्रपति की भारत यात्रा के दौरान देश की राजधानी में होने वाले दंगे संयोग कतई नहीं हो सकते। अब तक इन दंगों में एक पुलिसकर्मी और एक इंटेलीजेंस कर्मी समेत लगभग 42 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। नागरिकता कानून बनने के बाद 15 दिसंबर से दिल्ली समेत पूरे देश में होने वाला इसका विरोध इस कदर हिंसक रूप भी ले सकता है इसे भांपने में निश्चित ही सरकार और प्रशासन दोनों ही नाकाम रहे।

इससे भी चिंताजनक बात यह है कि सांप्रदायिक हिंसा की इन संवेदनशील परिस्थितियों में भी भारत ही नहीं विश्व भर के मीडिया में इसके पक्षपातपूर्ण विश्लेषणात्मक विवरण की भरमार है जबकि इस समय सख्त जरूरत निष्पक्षता और संयम की होती है। देश में अराजकता की ऐसी किसी घटना के बाद सरकार की नाकामी, पुलिस की निष्क्रियता, सत्ता पक्ष का विपक्ष को या विपक्ष का सरकार को दोष देने की राजनीति इस देश के लिए कोई नई नहीं है। परिस्थिति तब और भी विकट हो जाती है जब शाहीनबाग़ में महिलाओं को कैसे सवाल पूछने हैं और किन सवालों के कैसे जवाब देने हैं, कुछ लोगों द्वारा यह समझाने का वीडियो सामने आता है। लेकिन फिर भी ऐसे गंभीर मुद्दे पर न्यायपालिका भी कोई निर्णय लेने के बजाए सरकार और पुलिस पर कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी डाल कर निश्चिंत हो जाती है।

देखा जाए तो देश को मौजूदा हालात में धकेलने के लिए सभी जिम्मेदार हैं सरकार, विपक्ष, विभिन्न मुस्लिम नेता, प्रशासन, मीडिया। आज इनमें से कोई भी खुद को दूध का धुला नहीं बता सकता। आज जब देश की राजधानी में पत्थरबाजी, लोगों की दुकानें जलाने,किसी निहते के सिर में ड्रिलिंग मशीन चलाने, पुलिस कर्मी पर बंदूक तानने या फिर सुरक्षा बलों पर तेजाब डालने की खबरें आती हैं तो यह सतही प्रश्न नहीं होने चाहिए कि घरों में तेज़ाब कहाँ से आया बल्कि यह सोचना चाहिए कि लोगों के दिलों में इतना तेज़ाब कहाँ से आया? यह नहीं खोजना चाहिए कि इतने पत्थर कैसे इकट्ठे हुए बल्कि यह उत्तर ढूंढना चाहिए कि लोगों के दिलों में नफ़रत के यह पत्थर कैसे इकट्ठा हुए? यह खोखला तर्क नहीं होना चाहिए कि हमलावर बाहर से आए थे बल्कि इस तथ्य का उत्तर होना चाहिए कि उन्हें स्थानीय संरक्षण किसने दिया? राजनीति इस पर नहीं होनी चाहिए कि मरने वाले का नाम क्या था मंथन इस पर होना चाहिए कि मरने मारने की नौबत क्यों आई?

सवाल तो बहुत हैं और सभी से हैं। शुरू से शुरू करें तो बात शुरू हुई थी नागरिकता कानून से, नहीं बल्कि शायद बात शुरू हुईं थी तीन तलाक, धारा 370 और फिर राम मंदिर के फैसलों से। क्योंकि सी ए ए के विरोध प्रदर्शन में शामिल मुस्लिम महिलाएं और पुरूष ही नहीं खुद अनेक मौलाना भी टी वी डिबेट में यह कहते सुने गए कि हम तीन तलाक पर चुप रहे, 370 पर शांत रहे, राम मंदिर का फैसला भी सहन कर लिया लेकिन अब सी ए ए पर शांत नहीं रहेंगे। पर जब उनसे देश के मुसलमानों को सी ए ए से होने वाले नुकसान के बारे में पूछा जाता तो वे एन आर सी की बात करते।
जब इनसे कहा जाता कि अभी एन आर सी आया ही नहीं है तो यह मोदी और अमित शाह पर अविश्वास की बात कहते। यह बात सही है और किसी से छिपी नहीं है कि देश का मुसलमान भाजपा पर भरोसा नहीं करता। हालांकि 2014 में “सबका साथ सबका विकास” का नारा देने वाली भाजपा ने जब 2019 में पहले से अधिक बहुमत से सत्ता में वापसी की तो उसने “सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास” का नारा दिया। अर्थात भाजपा को भी पता था कि उसे देश के मुसलमानों का भरोसा प्राप्त नहीं है।

उसे यह भी पता था कि उसकी इस कमजोरी का फायदा विपक्ष भरपूर उठता है चाहे वो कांग्रेस हो, आप हो या फिर खुद मुस्लिम नेता। ऐसी स्थिति में भाजपा ने नागरिकता कानून लाकर सेल्फ गोल किया और विपक्ष ने इस मौके को दोनों हाथों से लपक लिया। क्योंकि जब नागरिकता कानून से देश के किसी मुसलमान नागरिक का कोई लेना देना ही नहीं है तो वह भयभीत क्यों है। जवाब सभी जानते हैं, उन्हें भ्रमित किया गया है। सवाल यह कि है जब देश के प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, कानून मंत्री, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री जैसे सरकार में शामिल जिम्मेदार लोग विभिन्न मंचों से बार बार कह चुके हैं कि देश के मुसलमानों से इस कानून का कोई लेना देना नहीं है फिर भी वे उन पर भरोसा नहीं करके विपक्ष के नेता, कुछ सोशल एक्टिविस्ट या फ़िल्म मेकर जैसे सरकार से बाहर के व्यक्तियों पर भरोसा क्यों कर रहे हैं? क्योंकि यह बेहद कड़वी सच्चाई है कि आज भी देश के मुसलमान को किसी भी बात पर बहुत आसानी से बरगलाया जा सकता है।

लेकिन अगर सरकार चाहती तो इस स्थिति से देश में ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी किरकिरी होने से बच सकती थी। जब सी ए ए देश के नागरिकों के लिए नहीं बल्कि शरणार्थियों के लिए बनाया गया था तो इस कानून को शरणार्थी नागरिकता के अंतर्गत लाकर इसका नाम शरणार्थी नागरिकता कानून रखना चाहिए था जिससे भ्रम की कोई स्थिति पैदा ही नहीं होती। लेकिन सरकार की अदूरदर्शिता से विपक्ष ही नहीं वामपंथी बुद्धिजीवियों को भी सरकार की गलत छवि बनाने की मुहिम चलाने का अवसर मिल गया।

शाहीनबाग़ जैसे मंचों पर जिस प्रकार कांग्रेस के बड़े बड़े नेता हों या ओवैसी या वारिस पठान जैसे मुस्लिम नेता हों या स्वरा भास्कर, अनुराग कश्यप जैसे फिल्मकार हों या कन्हैया कुमार जैसे छात्र नेता हों दिल्ली दंगो में इन लोगों की हेट स्पीच के योगदान को नकारा नहीं जा सकता। इसी तरह लगभग दो माह से कभी जेएनयू तो कभी जामिया मिल्लिया में होने वाले हिंसक प्रदर्शनों के बावजूद दिल्ली प्रशासन और पुलिस का ढुलमुल रवैया भी इन दंगो को भड़कने देने में सुप्त कारक रहा। लगभग दो माह से देश में व्याप्त इस असंतोष पर सरकार की चुप्पी भले ही राजनैतिक थी लेकिन अब जब स्थिति हाथ से निकलने लगी तो दिल्ली सरकार केंद्र सरकार पर केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट पर और सुप्रीम कोर्ट पुलिस प्रशासन पर जवाबदेही सरका रहे हैं।

जबकि जरूरत है जवाबदेही लेनी की, समस्या की जड़ समझने की। समझने वाली बात यह है कि आजादी के बाद से आज तक मुस्लिम समुदाय को ऐसे नेता तो बहुत मिले जिन्होंने उनकी राजनैतिक शक्ति को पहचान कर उन्हें वोट बैंक से अधिक कुछ नहीं समझा। उनका इस्तेमाल किया अपना वर्तमान साधा और भूल गए। लेकिन ऐसा नेतृत्व नहीं मिला जो उन्हें सही दिशा दिखाकर उनका भविष्य संवारे, उनका सामाजिक बौद्धिक राजनैतिक विकास करके उनकी शक्तियों को सही दिशा दिखाए।

यह दुर्भाग्य ही है कि आज मुस्लिम समुदाय का एक कम पढ़ा लिखा युवक जेहादी बन जाता है तो अधिक पढ़ा लिखा शरजील इम्माम। जब जावेद अख्तर को एक अपराधी में मुसलमान दिखाई देता है (ताहिर हुसैन पर एफआईआर पर उनकी प्रतिक्रिया) तो वे केवल इस देश के सौहार्द से ही नहीं खेलते बल्कि वे अपने ही समुदाय की भावनाओं और उनके भविष्य के साथ भी खेलते हैं। इसलिए जरूरत इस बात की है कि देश के मुसलमान नागरिक जो सार्वजनिक जीवन में हैं जो किसी मुकाम पर पहुंच चुके हैं, वे भी अपनी जवाबदेही को समझें और ऐसे उदाहरण प्रस्तुत करें जो पूरे मुस्लिम समुदाय को देश की मुख्यधारा से जोड़े ना कि उन्हें विद्रोह करने के लिए उकसाए। क्योंकि मुस्लिम समुदाय में उनकी विश्वसनीयता किसी गैर मुस्लिम से ज्यादा है, वो इस बात की गंभीरता को समझें ना कि इस बात का नाज़ायज़ फायदा उठाएं।
डॉ नीलम महेंद्र
(लेखिका वरिष्ठ स्तंभकार है)

Related Articles

स्मार्ट मीटर योजना: ऊर्जा बचत के दूत बन रहे हैं UP MLA

लखनऊ। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी RDSS (रीवैम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम) ने एक बार फिर अपने उद्देश्य को सार्थक किया है। आम जनता के मन...

EVM से फर्जी वोट डाले जाते है! BSP देश में अब कोई भी उपचुनाव नहीं लड़ेगी- मायावती

बसपा प्रमुख मायावती ने कहा पहले देश में बैलेट पेपर के जरिए चुनाव जीतने के लिए सत्ता का दुरुपयोग करके फर्जी वोट डाले जाते...

Sambhal Jama Masjid Survey- संभल शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान पथराव,हंगामा उपद्रवियों को हिरासत में लिया

Jama Masjid Survey Live: एसपी ने कहा कि उपद्रवियों ने मस्जिक के बाहर उपनिरिक्षकों की गाड़ियों में आग लगाई थी. साथ ही पथराव किया...

इंदौर में बसों हुई हाईजैक, हथियारबंद बदमाश शहर में घुमाते रहे बस, जानिए पूरा मामला

इंदौर: मध्यप्रदेश के सबसे साफ शहर इंदौर में बसों को हाईजैक करने का मामला सामने आया है। बदमाशों के पास हथियार भी थे जिनके...

पूर्व MLA के बेटे भाजपा नेता ने ज्वाइन की कांग्रेस, BJP पर लगाया यह आरोप

भोपाल : मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले ग्वालियर में भाजपा को झटका लगा है। अशोकनगर जिले के मुंगावली के भाजपा नेता यादवेंद्र यादव...

वीडियो: गुजरात की तबलीगी जमात के चार लोगों की नर्मदा में डूबने से मौत, 3 के शव बरामद, रेस्क्यू जारी

जानकारी के अनुसार गुजरात के पालनपुर से आए तबलीगी जमात के 11 लोगों में से 4 लोगों की डूबने से मौत हुई है।...

अदाणी मामले पर प्रदर्शन कर रहा विपक्ष,संसद परिसर में धरने पर बैठे राहुल-सोनिया

नई दिल्ली: संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण भी पहले की तरह धुलने की कगार पर है। एक तरफ सत्ता पक्ष राहुल गांधी...

शिंदे सरकार को झटका: बॉम्बे हाईकोर्ट ने ‘दखलअंदाजी’ बताकर खारिज किया फैसला

मुंबई :सहकारी बैंक में भर्ती पर शिंदे सरकार को कड़ी फटकार लगी है। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे...

सीएम शिंदे को लिखा पत्र, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को लेकर कहा – अंधविश्वास फैलाने वाले व्यक्ति का राज्य में कोई स्थान नहीं

बागेश्वर धाम के कथावाचक पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का महाराष्ट्र में दो दिवसीय कथा वाचन कार्यक्रम आयोजित होना है, लेकिन इसके पहले ही उनके...

Stay Connected

5,577FansLike
13,774,980FollowersFollow
136,000SubscribersSubscribe
- Advertisement -

Latest Articles

स्मार्ट मीटर योजना: ऊर्जा बचत के दूत बन रहे हैं UP MLA

लखनऊ। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी RDSS (रीवैम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम) ने एक बार फिर अपने उद्देश्य को सार्थक किया है। आम जनता के मन...

EVM से फर्जी वोट डाले जाते है! BSP देश में अब कोई भी उपचुनाव नहीं लड़ेगी- मायावती

बसपा प्रमुख मायावती ने कहा पहले देश में बैलेट पेपर के जरिए चुनाव जीतने के लिए सत्ता का दुरुपयोग करके फर्जी वोट डाले जाते...

Sambhal Jama Masjid Survey- संभल शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान पथराव,हंगामा उपद्रवियों को हिरासत में लिया

Jama Masjid Survey Live: एसपी ने कहा कि उपद्रवियों ने मस्जिक के बाहर उपनिरिक्षकों की गाड़ियों में आग लगाई थी. साथ ही पथराव किया...

इंदौर में बसों हुई हाईजैक, हथियारबंद बदमाश शहर में घुमाते रहे बस, जानिए पूरा मामला

इंदौर: मध्यप्रदेश के सबसे साफ शहर इंदौर में बसों को हाईजैक करने का मामला सामने आया है। बदमाशों के पास हथियार भी थे जिनके...

पूर्व MLA के बेटे भाजपा नेता ने ज्वाइन की कांग्रेस, BJP पर लगाया यह आरोप

भोपाल : मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले ग्वालियर में भाजपा को झटका लगा है। अशोकनगर जिले के मुंगावली के भाजपा नेता यादवेंद्र यादव...