नई दिल्ली- 8 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नोटबंदी की घोषणा के आज 50 पूरे दिन पूरे हो रहे हैं। इस घोषणा से पहले माना जा रहा था कि 500 और 1000 के सिस्टम में 15.4 लाख करोड़ रुपये सिस्टम में मौजूद हैं।
टीओआई की स्टोरी के मुताबिक 15.4 लाख करोड़ रुपए के बंद हुए 500-1000 रुपए के नोटों में से 14 लाख करोड़ रुपए के बंद हुए नोट बैंक में जमा हो चुके हैं। सरकार को उम्मीद थी कि नोटबंदी के फैसले के चलते सरकार को बहुत फायदा होने वाला है।
बताया जा रहा है कि सरकार को उम्मीद थी कि कम से कम 3 लाख करोड़ रुपए के पुराने नोट वापस नहीं आएंगे। अगर यह पूरी तरह से कारगर को जाता तो भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से सरकार को लाभांश दिया जाता। पर अभी तक के प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक ऐसा कुछ भी होने वाला नहीं है।
टीओआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंकों में जमा हुए 500-1000 रुपए के नोटों को देखते हुए लग रहा है कि कालेधन को सफेद करने वाले लोगों ने नया रास्ता ढूंढ ही लिया। हां, इस बात पर केंद्र सरकार खुश हो सकती है कि उसे 2.50 लाख से ज्यादा जमा हुए रुपयों पर टैक्स मिलेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि भले ही सरकार की नोटबंदी के जरिए कालेधन को नहीं निकाल नहीं पाई हो, पर लोगों की छोटी-छोटी बचतों को बैंकों में जमा करा पाने में सफल ही हुई सरकार को पैसे की कमी से नहीं जूझना होगा और उसे मजबूती मिलेगी।
नोटबंदी के फैसले को एक तरफ जहां केंद्र सरकार लंबें समय में देश को होने वाला फायदा बता रही है तो वहीं विपक्ष इसके चलते हुई मौतों के लिए मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहा है। नोटबंदी को कारगर बनाने के लिए केंद्र सरकार लगातार डिजिटल पेमेंट पर फोकस कर रही है और लोगों के लिए ज्यादा से ज्यादा ईनामी योजनाएं ला रही है। वहीं रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने अभी तक 60 से ज्यादा नए ऑर्डर जारी कर चुका है।
हालांकि पहले माना जा रहा था कि करीब तीन लाख करोड़ रुपया जब जमा नहीं होगा तो आरबीआई तकरीबन उतना पैसा सरकार को लाभांश के रूप में देगा लेकिन अब ऐसा होने की संभावना नहीं दिखती।
इतनी बड़ी धनराशि के वापस बैंकों में जमा होने का सीधा मतलब है कि अघोषित धन को भी बैंक में जमा कराने का रास्ता खोज निकाला गया। अब सरकार को उम्मीद है कि बड़ी जमाओं के कारण टैक्स के रूप में सरकार को अधिक धन कर राजस्व के रूप में मिलेगा क्योंकि अभी 2.5 लाख रुपये की आय पर प्रति व्यक्ति को आयकर में छूट मिली है।
हालांकि तस्वीर का दूसरा पहलू यह भी है कि अभी भी नोटबंदी के प्रभाव के कारण एटीएम में लंबी कतारें देखने को मिल रही हैं। सरकार के दावों के विपरीत आम जन को कोई बड़ी राहत नहीं मिली है। अभी भी लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। विपक्षी दलों ने भी सरकार को इस मुद्दे पर चौतरफा घेरा है। हाल में खत्म हुआ पूरा शीतकालीन सत्र नोटबंदी की भेंट चढ़ गया। पिछले 15 वर्षों में इस शीतकालीन सत्र की उत्पादकता सबसे कम रही। [एजेंसी]