नई दिल्ली- काले धन के खिलाफ बनाई गई विशेष जांच टीम (एसआईटी) के उपाध्यक्ष जस्टिस अरिजित पसायत ने कहा कि नोटबंदी के बाद सरकार ने अघोषित टैक्स डिपॉजिट पर तकरीबन 6 हजार करोड़ रुपए जुटाए हैं। उन्होंने कहा कि यह संख्या बढ़ भी सकती है।
एक अंग्रेजी अखबार की वेबसाइट पर चल रही खबर के मुताबिक, 8 नवंबर के बाद 500 और 1000 के पुराने नोटों को बैन कर दिए जाने के बाद टैक्स अधिकारियों ने उन लोगों से ब्यौरा मांगा था जिन्होंने एक मुश्त पैसा अपने और दूसरों के खातों में जमा कराया था। वहीं, कई ऐसे भी लोग हैं जो सजा से बचने के लिए एमनेस्टी स्कीम के तहत अपनी अघोषित आय पर 60 फीसदी टैक्ट पेनाल्टी देने को तैयार हैं। हालांकि, केंद्र सरकार ने इसे भी बढ़ा कर 75 फीसदी कर दिया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पसायत एसआईटी के चेयरमैन जस्टिस एम बी शाह के साथ ईडी, सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स, सीबीआई और दूसरी एजेंसियों द्वारा चलाए गए अभियान की निगरानी कर रहे हैं। पसायत ने कहा कि टैक्स अधिकारियों ने अब तक करीब 6000 करोड़ रुपये इकट्ठे किए हैं।
पसायत ने कहा कि नोटबंदी के पहले चरण में काले धन के खिलाफ अभियान चलाया गया, जिसमें 50 लाख या उससे अधिक जमा करने वालों पर नजर रखी गई। उन्होंने बताया कि ईमेल और एसएमएस इन जमाकर्ताओं को भेजे गए। कई लोग सजा से बचने के लिए टैक्स देने को तैयार हो गए। उन्होंने बताया कि ओडिशा जैसे गरीब राज्य में हजारों लोगों को ऐसे ईमेल और एसएमएस भेजे गए हैं।
उन्होंने कहा कि 50 लाख रुपये जमा कराने वाले 1092 लोगों ने नोटिस का जवाब नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि हर तरह के डिपॉजिट को जांचने में टैक्स अधिकारियों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी है। पसायत ने बताया कि बड़ा अमाउंट डिपॉजिट करने वाले बिजनसमैन को पिछले तीन साल का बैलेंस शीट पेश करने के निर्देश दिये गए हैं। उनसे साथ ही हर साल के आईटीआर का ब्यौरा भी मांगा गया है।
उन्होंने कहा कि ओडिशा में एक डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर (डीएफओ) ने 2.5 करोड़ रुपये जमा कराए हैं। जाहिर है कि वह इस राशि का स्रोत नहीं बता सकता है, क्योंकि यह रिश्वत का पैसा है। उनका पूरा पैसा जब्त कर लिया जाएगा। [एजेंसी]