डेनमार्क : नकाब और बुर्का समेत चेहरा ढंकने वाले तमाम परिधानों को पहनने पर रोक लगा दी गई है। इस बीच, इस रोक के समर्थन और विरोध में जमकर जुबानी जंग हुई।
सत्तारूढ़ उदारवादी पार्टी वेंस्त्रे के मार्कस नुथ ने कहा कि कुछ रूढ़िवादी महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले लिबास “बहुत दमनकारी” हैं।
वहीं “पार्टी रिबेल्स” कार्यकर्ता समूह की शाशा एंडर्सन इस कदम के खिलाफ शाम में प्रदर्शन करने की योजना बना रही हैं। उन्होंने इसे अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ एक “पक्षपाती” कदम बताया।
इस प्रतिबंध का समर्थन करने वाला समूह भी रैली की योजना बना रहा है।
डेनमार्क के सांसदों ने इस कानून को मई में स्वीकृति दी थी। 2016 में डेनमार्क ने एक और कानून बनाया जिसमें नए शरणार्थियों को जेवर और सोना जैसे कीमती सामान सौंपने होते हैं ताकि देश में निवास के दौरान आने वाले खर्च को अदा करने में मदद मिल सके।
अन्य यूरोपीय देशों में भी इस तरह के प्रतिबंध लागू हैं और उनका दावा है कि यह कानून किसी खास धर्म को लेकर नहीं बनाया गया है। यही कारण है कि उन्होंने हेडस्कार्फ, पगड़ी या पारंपरिक यहूदी टोपी पर प्रतिबंध नहीं लगाया है।
डेनमार्क में यह “बुर्का प्रतिबंध” के नाम से जाना जाता है जिसे ज्यादातर लोग नकाब और बुर्का पर रोक के रूप में देखते हैं। डेनमार्क में कुछ मुस्लिम महिलाएं पूरा चेहरा ढंकने वाला लिबास पहनती हैँ।