डिंडोरी- इतिहास के धरोहर को दरकार है अब संग्रक्षित करने की। समय के साथ साथ धरोहर अब विलुप्त होते जा रहे है और आरोप सरकार पर लग रहा है। जीहाँ बात की जा रही है अंग्रेजो से लोहा लेने वाली वीरांगना रानी आवंती बाई की। जिसकी गौरव गाथा देश नहीं अपितु विदेशो में भी गाई जाती है। लेकिन बदहाली और उपेक्षित ये गाव जहा कभी राजा रानिया और सेना हुआ करती थी। आज खँडहर में तब्दील है।
यह बात मध्य प्रदेश के डिंडोरी के रामगढ़ गाव की है। जहा वीरांगना रानी आवंती बाई सिवनी जिले से शादी होकर आई थी। पति विक्रमादित्य के निधन के बाद पूरा राजपाठ स्वयं संभाल रही रानी आवंती बाई अंग्रेजो से लोहा लेते घिर गई और खुद को पेट पर खंजर मार मिटा लिया। आज उनकी यादे रामगढ़ गाव में दबी हुई है। उनकी वंशज राजकुमारी कुसुम महदेले सरकार की उपेक्षा का शिकार है। राज घराने के लोगो का सरकार पर अनदेखी और उपेक्षा का आरोप है।
रानी अवंती बाई के वंसज कुसुम महदेले के छोटे भाई गजेंन्द्र और उनकी धर्मपत्नी इंदु मति का कहना है कि रामगण गाव सरकार की उपेक्षा और अनदेखी का शिकार है।
इस मसले में रानी आवंती बाई समिति के अध्यक्ष महेंद्र ठाकुर का कहना है कि इस जगह का खुलासा जिले के प्रताप सिंह और पुरोहित यौगेन्द्र त्रिपाठी ने किया और तत्कालीन मुख्य मंत्री अर्जुन सिंह को भी बताया और उन्होंने मूर्ति और सड़क बनाने की यौजना की। कई बार सरकार का ध्यान आकर्षित कराया गया लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की गई।
जिला प्रशासन का कहना है कि मामला संज्ञान में आया है मौके में जाकर निरिक्षण किया जायेगा और जो भी उचित होगा किया जायेगा। वही जिला डिंडौरी के प्रभारी मंत्री ज्ञान सिंह ने मीडिया को धन्यवाद् देते हुए कहा है कि जो भी संभव हो मेरी और से मुख्यमंत्री के द्वारा इस स्थिति में मेरे द्वारा प्रयास किया जायेगा।
रिपोर्ट- @दीपक नामदेव