अगर कोई बैंक डूब जाता है या दिवालिया हो जाता है तो उसके जमाकर्ताओं को अधिकतम 1 लाख रुपये ही मिलेंगे, चाहे उनके खाते में कितनी भी रकम हो।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की सब्सिडियरी डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) के मुताबिक, बीमा का मतलब यह भी है कि जमा राशि कितनी भी हो ग्राहकों को 1 लाख रुपये ही मिलेंगे।
सभी बैंक जमाओं का बीमा करने वाले DICGC ने न्यूज एजेंसी पीटीआई द्वारा दायर RTI के जबाव में कहा, यह बचत, फिक्स्ड डिपॉजिट, करंट और रेकरिंग डिपॉजिट खातों को कवर करता है।
1 लाख रुपये की रकम सुरक्षित
DICGC एक्ट, 1961 की धारा 16 (1) के प्रावधानों के तहत, अगर कोई बैंक डूब जाता है या दिवालिया हो जाता है, तो DICGC प्रत्येक जमाकर्ता को भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होता है। उसकी जमा राशि पर 1 लाख रुपये तक का बीमा होता है।
आपका एक ही बैंक की कई ब्रांच में खाता है तो सभी खातों में जमा अमाउंट पैसे और ब्याज जोड़ा जाएगा और केवल 1 लाख तक जमा को ही सुरक्षित माना जाएगा।
यही नहीं, अगर आपके किसी एक बैंक में एक से अधिक अकाउंट और FD हैं तो भी बैंक के डिफॉल्ट होने या डूब जाने के बाद आपको एक लाख रुपये ही मिलने की गारंटी है। यह रकम किस तरह मिलेगी, यह गाइडलाइंस DICGC तय करता है।
बीमा रकम बढ़ाने की जानकारी नहीं
यह पूछे जाने पर कि क्या हाल ही में पीएमसी बैंक (PMC Bank) धोखाधड़ी के मद्देनजर बैंक में इंश्योर्ड 1 लाख रुपये की सीमा बढ़ाने के लिए कोई प्रस्ताव है या विचाराधीन है, डीआईसीजीसी ने कहा, निगम के पास अपेक्षित जानकारी नहीं है।
DICGC ने कहा, बैंक में जो भी पैसा जमा करता है, उसे अधिकतम 1 लाख रुपये तक बीमा कवर मिलता है।
इसका मतलब है कि अगर किसी कारण से बैंक विफल होता है या उसे बंद किया जाता है अथवा बैंक का लाइसेंस रद्द होता है, उस स्थिति में उसे 1 लाख रुपये हर हाल में मिलेगा। भले ही बैंक में आपने कितनी भी ज्यादा राशि क्यों न जमा कर रखी हो।