वाशिंगटन : चीन के अंड़गा डालने की वजह से भारत न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप (एनएसजी) का हिस्सा नहीं बन रहा है। लेकिन, जल्द ये तस्वीर बदल सकती है क्योंकि अमेरिका भारत को एनएसजी में लाने के तरीकों पर विचार कर रहा है।
व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि अमेरिका एनएसजी में भारत की सदस्यता को बेहद अहम मानता है। इसीलिये ट्रंप प्रशासन ने भारत की एनएसजी देशों में कैसे एंट्री हो इस पर संजीदगी से सोच रहा है।
परमाणु आपूर्तिकर्ता देशों के प्रतिष्ठित समूह एनएसजी की इस साल जून में हुई बैठक में भारत के आवेदन पर कोई फैसला नहीं हो सका था। हालांकि इस बात पर सहमति बनी कि परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले देशों को ग्रुप में जगह देने के मसले पर नवंबर में होने वाली बैठक में चर्चा की जाएगी।
हालांकि चीन एनएसजी का अहम सदस्य है और वो इसी आधार पर हर बार भारत की सदस्यता के रास्ते में अड़ंगा डालता है। इसके लिए चीन भारत के एनपीटी में हस्ताक्षर नहीं करने की दलील देता है। चीन के विरोध के चलते 48 सदस्यों वाले समूह में भारत के प्रवेश की राह कठिन हो गई है।
इस बारे में व्हाइट हाउस के अधिकारी ने कहा कि इस मसले पर जल्द ही बैठक होने वाली है। यह मामला अमेरिका के लिए काफी अहम है। उनका यह जवाब यह पूछे जाने पर आया कि ट्रंप प्रशासन ने भारत की एनएसजी सदस्यता के लिए अब तक क्या कदम उठाए हैं? नाम गोपनीय रखने की शर्त पर उन्होंने कहा, एनएसजी में भारत की सदस्यता का अमेरिका समर्थन करता है।
यह मुद्दा 26 जून को ह्वाइट हाउस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हुई बैठक के दौरान भी उठा था।