बुरहानपुर – बुरहानपुर के सिंधीबस्ती के रामकुमार नामक युवा रोजाना व्यापारियों के घर से लंच के डिब्बे लेकर समय पर उनकी दुकानों पर पहुंचाकर मुंबई के डिब्बेवालों की तरह सभी को हैरानी में डाल दिया है, रामकुमार की इस सेवा से संतुष्ट व्यापारी इसे गॉड गिफ्ट मानते है जबकि मैनेजमेंट एक्सपर्ट रामकुमार के इस मैनेजमेंट को असाधारण मानते हुए इसे मैनेजमेंट दिल से का नाम दे रहे है। माया नगरी मुंबई के डिब्बेवालों का डिब्बों की सही समय पर डिलेवरी के प्रबंधन का लोहा देश से लेकर विदेशियों ने माना है, लेकिन बुरहानपुर के सिंधीबस्ती के लंच के डिब्बे पहुंचाने वाले रामकुमार का मैनेजमेंट मुंबई के डिब्बेवालों के मैनेजमेंट से कम नहीं है, रामकुमार रोजाना दो शिफ्टों में चार घंटों में पौने दो सौ व्यापारियों के घरों से लंच के डिब्बे लेकर सही समय पर उनकी दुकानों पर पहुचाने का काम एक दशक से कर रहा है।
हालांकि रामकुमार के मामा लालचंद ने 20 साल तक करने के बाद अपने स्वास्थ्य के चलते छोड दिया और ना ही रामकुमार के मामा ने अपने भांजे को यह काम करने के लिए प्रेरीत किया, दरअसल रामकुमार एक व्यापारी के यहां नौकरी करते थे, छोटे से विवाद के बाद रामकुमार ने नौकरी छोड दी और डिब्बे बांटने के काम को एक बडी चुनौती के रूप में लिया और सफल हुए हालांकि रामकुमार की अभी शादी नहीं हुई लेकिन उनका कहना है भविष्य में वह उनके बच्चों के इस काम में नहीं डालेंगे, आत्मविकाास से लबरेज रामकुमार का कहना है उन्होंने मुंबई के डिब्बेवालों के बारे में सुना है लेकिन उनके डिब्बों पर नाम और नंबर होते है जबकि उनके द्वारा बांटे गए डिब्बे कपडों की थैली में होते है थैलियां भी व्यापारियों की पत्नियां बदल बदल कर देती है लेकिन रामकुमार जिसका डिब्बा है उसी के घर पहुंचाते है रामकुमार नई पीढी खासकर मैनेजमेंट की शिक्षा लेने वाले छात्रों को सफलता पाने के लिए समय की पाबंदी और विवेक से लिए गए निर्णय लेने की सलाह देते है।
महिलाएं भी रामकुमार के समय के पाबंदी की कायल है, महिलाओं का कहना है रामकुमार समय पर लंच का डिब्बा लेने आता है और समय पर दुकानों पर पहुंचा देता है कोई भी मौसम हो रामकुमार से महिलाओं को कोई शिकायत नहीं है बल्कि महिलाएं भी रामकुमार के काम के तरीके से हैरान है।
रोजाना समय पर लंच का डिब्बा पाने वाले व्यापारियों का कहना है रामकुमार खूद भूखा रहकर समय पर खाना पहुंचाने का कार्य करता है व्यापारी इसे रामकुमार को कुदरत की देन मानते है मुंबई के डिब्बेवालों से व्यापारी रामकुमार की तुलना करते हुए कहते है रामकुमार का काम मुंबई के डिब्बेवालों से भी बेहतर है उन्होंने रामकुमार के बेहतर समय प्रबंधन और डिब्बे देने के प्रबंधन को निराला प्रबंधन बताया।
रामकुमार ने कुछ खास शिक्षा हासिल नहीं की, बावजूद इसके एक दशक से भी अधिक समय से निरंतर बिना गलती किए रोजाना सैंकडों डिब्बे बांटने की विधा से चिकित्सक भी हैरान है और रामकुमार के इस प्रबंधन को शोध करने की वकालत कर रहे है।
मैनेजमेंट एक्सपर्ट रामकुमार के रोजाना चार घंटों में बिना किसी गलती के पौने दो सौ डिब्बे बांटने के प्रबंधन को प्रबंधन दिल से की संज्ञा दे रहे है उनका मानना है रामकुमार का डिब्बे बांटने का काम एक जुनून का नतीजा है मैनेजमेंट की शिक्षा देने वाले शिक्षण संस्थानों द्वारा रामकुमार के इस कार्य पर शोध कर इसकी मैनेजमेंट केस स्टडी के रूप में प्रकाशित किया जा सकता है रामकुमार के इस बेहतर प्रबंधन से समय का प्रबंधन कमेटमेंट को पूरा करने जैसी विशेषताएं सीखी जा सकती है।
रिपोर्ट :- सैयद जफर अली