नई दिल्ली –वाहन चलाने वालों के लिए एक अच्छी खबर है,जल्द ही उन्हें वाहन चलाने के लिए सस्ता ईंधन मिल सकता है। दरअसल अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें घटने के साथ ही इंडियन बास्केट के कच्चे तेल की कीमत 11 साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है।
इससे तेल कंपनियों और सरकार को तो फायदा होगा ही, खुदरा बाजार में पेट्रोल व डीजल की कीमतों में भी नरमी आने के आसार हैं। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक इंडियन बास्केट के कच्चे तेल की कीमत 7 दिसंबर 2015 को 38.61 डॉलर प्रति बैरल रही, जो कि बीते 11 साल का न्यूनतम स्तर है।
इससे पहले नवंबर 2004 में 38.62 डॉलर प्रति बैरल का भाव रहा था। इससे अर्थव्यवस्था को तो फायदा पहुंचेगा ही, सरकार के सब्सिडी बिल में भी कमी आएगी। इसके साथ ही एक बार फिर से पेट्रोल-डीजल और एलपीजी की कीमतों में कटौती के आसार बन गए हैं।
उल्लेखनीय है कि नवंबर 2004 के दौरान दिल्ली में पेट्रोल की खुदरा कीमत 39 रुपये प्रति लीटर, जबकि डीजल की कीमत 26.28 रुपये थी।
केंद्रीय वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि चालू वित्त वर्ष के दौरान कच्चे तेल की औसत कीमत 60 डॉलर प्रति बैरलआंकी गई है। इस वर्ष के शुरुआती छह महीने में इसकी औसत कीमत 56 डॉलर प्रति बैरल रही थी। इसी से आयात बिल में काफी बचत हुई।
अब तो कीमत घटकर 40 डॉलर से नीचे पहुंच गई है। मतलब और ज्यादा बचत। उनका कहना है कि दाम घटने से सरकार को कम सब्सिडी का भुगतान करना होगा। अभी यदि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में यदि एक डॉलर की गिरावट आती है, तो भारत के आयात बिल में 6,500 करोड़ रुपये तक की कमी आती है। हालांकि डॉलर के मुकाबले रुपये के घटते मूल्य से इस पर थोड़ा असर पड़ा है, लेकिन तब भी तेल की कीमत घटने का तो लाभ मिलेगा ही।
कीमत में कटौती से सरकार के साथ-साथ आम जनता को भी पेट्रोल-डीजल व एलपीजी के दामों में कटौती की सौगात मिल सकेगी। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत घटने का फायदा तेल विपणन करने वाली सरकारी कंपनियों को प्रत्यक्ष रूप से मिलेगा।
इंडियन ऑयल, हिन्दुस्तान पेट्रोलियम और भारत पेट्रोलियम जैसी कंपनियों को अब कच्चे तेल के आयात के लिए कम वर्किंग कैपिटल की जरूरत होगी। आमतौर पर ये कंपनियां बाजार से उधार लेकर कच्चे तेल का आयात करती हैं जब तैयार उत्पाद बिक जाता है तो उधार चुका दिया जाता है।