भोपाल – पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह मंगलवार को भोपाल में विधानसभा के मीडिया कक्ष में व्यापमं मामले पर प्रेस से चर्चा करना चाह रहे थे, लेकिन मार्शलों ने उन्हें रोक दिया। पिछले 11 वर्षों में ऐसा पहली बार हुआ है, लिहाजा खुद दिग्विजय भी हतप्रभ थे।
अपने साथ हुए बर्ताव से नाराज दिग्विजय ने विधानसभा के मेन गेट पर पत्रकारों से बात की। उन्होंने कहा मैं दो बार मुख्यमंत्री रहा, मंत्री रहा और विधायक रहा लेकिन मुझे बाहरी व्यक्ति बताकर विधानसभा परिसर में पत्रकार वार्ता करने से रोका जा रहा है। यह बीजेपी और राज्य सरकार की बौखलाहट को दर्शाता है।
व्यापम घोटाले के जिन सबूतों के आधार पर पूर्व मंत्री, अधिकारी जेल में हैं और राज्यपाल के खिलाफ एफआईआर हो चुकी है, उन्हीं सबूतों में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का नाम भी आ रहा है तो एसटीएफ सीएम के खिलाफ एफआईआर क्यों नहीं कर रही?
उन्होंने कहा कि वह इस मामले में अपनी अंतिम सांस तक और अंतिम अदालत तक लड़ार्ई लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि पहले सबूत मांगे जा रहे थे और जब सबूत दे दिए तो कार्रवाई नहीं हो रही। कांग्रेस नेता ने तारीख और समय बताते हुए हार्डडिस्क में हुई छेड़छाड़ के बारे में भी जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि उनके पास जो एक्सेल शीट है, उसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सौंप दिया गया है। मोदी से जवाब मिला है कि देखेंगे। दिग्विजय सिंह ने कहा, अब देखना है कि मोदी क्या करते हैं।
इसके पहले कांग्रेस के सदस्यों ने व्यापमं घोटाले को लेकर हंगामा किया और मुख्यमंत्री चौहान के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की। दिग्विजय सिंह अध्यक्षीय दीर्घा में पहुंचे तो उन्हें देखकर कांग्रेस विधायकों ने हंगामा तेज कर दिया।
दरअसल मंगलवार को विधानसभा का एक दिवसीय विशेष सत्र अनुपूरक बजट पारित करने के लिए आयोजित किया गया था। सरकार इसे बजट सत्र में पास कराने में असफल रही थी और इसके लिए उसे आलोचना सुननी पड़ी थी।