धार : जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर हुए आतंकी हमले के बाद से पूरा देश गुस्से में है। हर तरह आतंकवादियों और पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने की मांग हो रही है। इस दिशा में अबतक कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाने से केंद्र सरकार अब कांग्रेस के निशाने पर आ गई है। इसी क्रम में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने पीएम मोदी पर हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि पुलवामा अटैक के बाद भी पीएम मोदी शूटिंग करते रहे। दिग्विजय सिंह ने पीएम मोदी के 56 इंच के सीने वाले बयान पर भी तंज कसा और कहा कि मैं आजतक नहीं समझ पाया हूं कि उनका सीना नापा किसने है। आपको बता दें कि गत 14 फरवरी को हुए इस आतंकवादी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे।
दिग्विजय ने शुक्रवार को पत्रकारों से कहा, ‘मैं आज तक समझ नहीं पाया हूं कि उनका (मोदी का 56 इंच का सीना) सीना नापा किसने है। जिस गंभीरता से प्रधानमंत्री जी को यह घटना लेनी चाहिए थी, उस गंभीरता से उन्होंने इसे नहीं लिया। उन्होंने कहा, जिस दिन यह घटना हुई, लगभग साढ़े तीन बजे जानकारी मिल गई थी। वह कॉर्बेट नैशनल पार्क में थे। इनकी फिल्म की शूटिंग हो रही थी। इमर्जेंसी थी। इमर्जेंसी होने के नाते तत्काल सारे काम छोड़कर उनको (मोदी) दिल्ली आना था।
दिग्विजय ने कहा कि इतनी बड़ी घटना पर राष्ट्रीय शोक घोषित करना था। आपात स्थिति में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति की तत्काल बैठक बुलाई जानी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। दिग्विजय ने कहा कि सीआरपीएफ का इतना बड़ा काफिला जा रहा था और जैश-ए-मोहम्मद ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि आत्मघाती हमला होगा। उसके बाद भी उन्होंने (केन्द्र सरकार) कोई कार्रवाई नहीं की। एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि जहां हर 10-15 किलोमीटर पर जांच होती है, तो ऐसे में साढ़े तीन क्विंटल विस्फोटक पदार्थ क्यों नहीं पकड़ में आया। ये सारी चीजें ऐसी हैं जिस पर आज तक सरकार उत्तर नहीं दे पाई है।
दिग्विजय ने कहा कि सऊदी अरब के युवराज (मोहम्मद बिन सलमान बिन अब्दुल अजीज अल सऊद) आए और उनके साथ किए गए समझौते में इस बात का उल्लेख किया गया कि पाकिस्तान से चर्चा करनी चाहिए। पुलवामा का कोई जिक्र तक नहीं किया गया। प्रधानमंत्री किस दबाव में थे। उन्होंने कहा कि इसके विपरीत फ्रांस, आस्ट्रेलिया सहित अनेक देश पाकिस्तान के इस कृत्य को गंभीरता से लेते हुए उनके खिलाफ प्रस्ताव पारित कर रहे हैं लेकिन भारत पर सऊदी अरब का ऐसा क्या दबाव था जो उन्होंने इस पर बातचीत जारी रखने के समझौते पर दस्तखत किए। ये सारी बातें अब सामने आ रही हैं।