नई दिल्ली- दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग और केजरीवाल के बीच चल रहे विवाद को लेकर दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि यह दिल्ली और राज्य प्रशासन दोनों के लिए सही नहीं है। सरकार दिल्ली की भलाई के लिए काम करती है न कि नुकसान के लिए। इस विवाद से दिल्ली का नुकसान होगा। दीक्षित ने केजरीवाल पर हमला करते हुए कहा कि इस तरह से वे अरविंद केजरीवाल दिल्ली की जनता का ध्यान उन वादों से हटाना चाहते हैं जो उन्होंने जनता से किया था।
इस बीच अरविन्द केजरीवाल सरकार की कड़ी आपत्तियों के बावजूद वरिष्ठ नौकरशाह शकुंतला गैमलिन को राज्य सरकार की कार्यवाहक मुख्य सचिव नियुक्त कर दिया गया है और अब उन्होंने अपना पदभाल संभाल भी लिया है। लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नहीं चाहते कि शकुंतला इस पद पर आसीन हों। उधर, यह मामला और गहरा गया है। दिल्ली सरकार का कहना है कि एलजी की शक्तियां स्पष्ट हों। इस सिलसिले में केजरीवाल राष्ट्रपति से मिलेंगे।
उधर दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बीजेपी पर हमला करते हुए कहा है कि बीजेपी उपराज्यपाल के कंधे पर रखकर बंदूक चला रही है। और तख्ता पलट की कोशिश हो रही है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में कल बीजेपी ने एलजी के जरिये तख्तापलट करने की कोशिश की है। एलजी के जरिये एक चुनी हुई ऐतिहासिक बहुमत वाली सरकार को, उसके मुख्यमंत्री को, कैबिनेट को किनारे करके सीधे सरकार चलाने की कोशिश की गई। मंत्रियों के जगह अधिकारियों को सीधे निर्देश दिया गया है।
उन्होंने आगे कहा कि संविधान कहता है कि एलजी, सरकार के किसी मंत्री के साथ राय में मतभेद होने पर पहले मंत्री से बात करेंगे। बात न बने, तो कैबिनेट को लिखेंगे।फिर भी बात न बने तो राष्ट्रपति को लिखेंगे। उन्हें राष्ट्रपति से आदेश मिलता है तो भी वो ये आदेश मंत्री को बताएंगे न कि सीधे किसी अफसर को। एलजी के पास मंत्री को बायपास करके किसी अधिकारी को निर्देश देने का अधिकार किसी भी कानून में नहीं है।
उपराज्यपाल ने 1984 बैच की आईएएस अधिकारी शकुंतला को मुख्य सचिव का अतिरिक्त प्रभार सौंपा है। इससे कुछ समय पहले महिला अधिकारी ने जंग को एक पत्र लिखकर दावा किया था कि मुख्यमंत्री कार्यालय के एक वरिष्ठ नौकरशाह ने उन पर इस बात के लिए दबाव डाला है कि वह इस पद की दौड़ में शामिल नहीं हों क्योंकि उनकी बिजली वितरण कंपनी बीएसईएस के साथ कथित रूप से नजदीकी है।
मुख्य सचिव के के शर्मा निजी यात्रा पर अमेरिका गये हैं जिसके चलते सरकार को एक कार्यवाहक मुख्य सचिव तैनात करना था। गैमलिन वर्तमान समय में ऊर्जा सचिव के रूप में कार्यरत हैं।
इस कदम की आलोचना करते हुए आप सरकार ने कहा कि उपराज्यपाल निर्वाचित सरकार एवं मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की अनदेखी नहीं कर सकते तथा उन्होंने संविधान, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार कानून तथा कामकाज संचालन नियमों के विरुद्ध काम किया है।
जंग ने आप सरकार के आरोपों का तुरंत यह कहते हुए खंडन किया कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 239 एए के तहत उपराज्यपाल दिल्ली में राज्य प्राधिकारी का प्रतिनिधि होता है।
उपराज्यपाल के कार्यालय के एक बयान में कहा, ‘‘कार्यावाहक मुख्य सचिव की नियुक्ति की फाइल 13 मई की शाम में उपराज्पाल को सौंपी गई जिसे तत्काल मंजूरी दे दी गई। उन्होंने मुख्यमंत्री द्वारा प्रस्तावित नाम के वितरीत शकुंतला गैमलिन के नाम यह विचार करते हुए मंजूरी दी कि वह वरिष्ठ हैं और उनकी पिछली उपलब्धियां साबित हुई हैं।
बयान में कहा गया, ‘‘मुख्यमंत्री द्वारा प्रस्तावित नाम सेवा विभाग की ओर से दिये गए नामों की सूची में नहीं था और संबंधित अधिकारी को दिल्ली सरकार द्वारा अभी तक तैनाती नहीं दी गई है।
इसमें कहा गया है कि उपराज्यपाल को सौंपी गई फाइल में ऐसा कुछ भी नहीं था जो यह संकेत देता हो कि सरकार का गैमलिन के खिलाफ कुछ था और उन्हें इस बात का खेद है कि एक वरिष्ठ अधिकारी का नाम इस तरीके से सार्वजनिक किया जा रहा है और वह भी एक महिला अधिकारी का जो कि पूर्वोत्तर की रहने वाली हैं।
शकुंतला को अतिरिक्त प्रभार देने के पश्चात राज्य सरकार ने उप राज्यपाल पर मुख्यमंत्री एवं निर्वाचित सरकार की अनदेखी करने का आरोप लगाया तथा कहा कि उनके पास असाधारण शक्ति नहीं है।
केजरीवाल सरकार ने एक बयान में कहा उपराज्यपाल ने निर्वाचित सरकार, मुख्यमंत्री एवं उपमुख्यमंत्री (जो सेवा विभाग के प्रभारी मंत्री के रूप में काम करते हैं) की अनदेखी की है। संविधान के तहत उप राज्यपाल के पास ऐसी असाधारण शक्ति नहीं है कि वह निर्वाचित सरकार की अनदेखी करें और सीधे सचिव को निर्देश जारी करें, भले ही कोई भी अनिवार्यता क्यों न हो।
इसमें कहा गया कि जंग ने असाधारण तरीके से सचिव (सेवा) को सीधे निर्देश जारी कर दिया कि मुख्य सचिव का अतिरिक्त प्रभार शकुंतला को सौंपा जाये। सरकार ने कहा कि उसे शकुंतला के आचरण को लेकर कुछ आपत्ति है जिनके चलते वह उन्हें अतिरिक्त प्रभार देने को लेकर हिचक रही थी।
इसमें कहा गया उनके बारे में धारणा है कि उनकी दिल्ली की बिजली कंपनियों के साथ काफी नजदीकियां हैं और वह सरकार के भीतर उनके हितों के लिए लाबिंग कर रही थीं। बहरहाल, माननीय उपराज्यपाल ने पूरी तरह से असंवैधानिक तरीके से शकुंतला गैमलिन को इस पद पर नियुक्त कर दिया। एजेंसी