‘बंगाल में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ लगाए जा रहे नारों के संदर्भ में घोष ने कहा, ‘महिलाओं को दिनभर सड़कों पर आगे की पंक्ति में बैठाकर भड़काऊ नारे लगवाए जा रहे हैं। हमें आत्म मंथन करना होगा कि आखिर समाज कहां जा रहा है।’कोलकाता: अपने बयानों के कारण अक्सर चर्चा में रहने वाले पश्चिम बंगाल भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने एक बार फिर ऐसा बयान दिया है जो चर्चा का विषय बन गया है। महिला दिवस के मौके पर उन्होंने रविवार को कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि महिलाओं का एक वर्ग टैगोर के गीतों के साथ अश्लील वीडियो बनाने और कुछ अन्य नशा कर सड़कों पर भड़काऊ नारे लगाने जैसे अशोभनीय कार्य करता है।
कोलकाता के गोल्फ ग्रीन इलाके में स्थानीय लोगों से चाय पर चर्चा करते हुए भाजपा सांसद ने कहा, ‘यह चिंता का विषय है कि कुछ महिलाएं आत्म सम्मान, गरिमा, संस्कृति, मूल्यों और वीडियो में अश्लीलता करने के प्रति लापरवाह हो रही है।’ बंगाल में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ लगाए जा रहे नारों के संदर्भ में घोष ने कहा, ‘महिलाओं को दिनभर सड़कों पर आगे की पंक्ति में बैठाकर भड़काऊ नारे लगवाए जा रहे हैं। हमें आत्म मंथन करना होगा कि आखिर समाज कहां जा रहा है।’
मेदिनीपुर से सांसद ने चिंता जताई कि सड़क पर इस तरह का व्यवहार करने वाली ये महिलाएं भी हिंसा का शिकार हो सकती हैं। उन्होंने कहा, ‘हम सभी को, अभिभावकों, कॉलेज प्रशासन, स्कूल और शिक्षामंत्री को समाज के इस पतन के बारे में सोचना चाहिए।’ घोष के इस बयान को पश्चिम बंगाल के नगर निगम मामलों और शहरी विकास मंत्री फरहाद हकीम ने असभ्य और बर्बर करार दिया है।
उन्होंने कहा कि घोष ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस, आठ मार्च को राज्य की सभी महिलाओं का अपमान करने के लिए चुना। हकीम ने कहा, ‘उन्होंने पश्चिम बंगाल की महिलाओं के प्रति असम्मान प्रकट करने के लिए कुछ गिनी चुनी घटनाओं का इस्तेमाल किया।’
बता दें कि घोष ने यह टिप्पणी रवींद्र भारती विश्वविद्यालय की तस्वीर जिसमें साड़ी पहनी युवा महिलाओं के शरीर पर मशहूर रवींद्र नाथ टैगोर के गाने के साथ आपत्तिजनक शब्द लिखे गए है एवं मालदा के प्रख्यात स्कूल की चार छात्रों द्वारा टैगोर के गाने पर गाई गई पैरोडी के वायरल वीडियो पर किए सवाल पर की थी।