डिंडौरी: सरकारी जिला अस्पताल में दूर दराज़ के मरीज बेहतर इलाज की आस से पहुचते है। लेकिन जिला अस्पताल में बरती जा लापरवाही के चलते गंभीर बीमारी से ग्रस्त मरीजो को घंटो इन्तेजार करना पड़ता है। हैरत की बात तो यह है की जिला अस्पताल की डायलिसिस यूनिट जहा गंभीर बीमार पहुचते है यहाँ ताला लगा मिला। जब मरीज के परिजनों ने पता किया तो जानकारी लगी की टेक्नीशियन छुट्टी में है। जिस नर्स की ड्यूटी है वो बिना अस्पताल प्रबंधक को बताये गायब है। अब ऐसे में मरीजो का इलाज भगवान भरोसे है। जानकारी जब मीडिया को लगी तो जानकारी उन्होंने जानकारी फ़ोन पर जिला कलेक्टर अमित तोमर को दी ,जिसके बाद आनन फानन में डायलासिस यूनिट खोल कर किडनी के मरीज का डायलिसिस इलाज किया गया।
डिंडौरी नगर के शर्मा परिवार के बुजुर्ग सूर्यकांत शर्मा जो किडनी की बीमारी से पीढित है इनका अस्पताल प्रबंधन पर आरोप है की पिछले 2 घंटे से वे डायलिसिस यूनिट के बाहर इलाज के लिए इन्तेजार कर रहे है लेकिन यूनिट में ताला लगा है। एसी लापरवाही के चलते अन्य मरीजो को भी सरकारी लाभ समय पर नहीं मिलता है। वही खंडवा से आये टेक्नीशियन का कहना है की वह सुबह 8 बजे से डायलिसिस यूनिट की खुलने का इन्तेजार कर रहा है लेकिन ताले की चाबी अभी तक उन्हें नहीं मिली है।
जिले के कलेक्टर अमित तोमर को जब जानकारी दी, जिनके निर्देश के बाद डायलिसिस यूनिट का ताला तोडा गया और 2 घंटे से इन्तेजार कर रहे मरीज को इलाज मिलना शुरू हुआ। मरीज के परिजनों ने जिले की मीडिया को धन्यवाद दिया।
दूसरी तरफ डिंडौरी के ग्रामीणों की जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। झोला छाप डाक्टरों का जाल जिले में इस तरह से फैला है की सरकारी अस्पतालों में मरीजो की संख्या न के बराबर पहुचती है। बात अगर डिंडौरी जिले के अमरपुर जनपद क्षेत्र की की जाये तो लोकल अमरपुर में ही झोला छाप डाक्टरों की फौज है। जो धड़ल्ले से अंग्रेजी दवाओ का इस्तेमाल बिना जाँच के ग्रामीणों में करते है। फिर इसके बाद चाहे ग्रामीण की जान पे भले ही बन आये। इसके लिए न तो वे पर्ची देते है और न ही दवा का नाम बताते है। कुछ ऐसा ही इलाज करते कुछ झोलाछाप डाक्टर केमरे में कैद हुए। वही स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार ब्लाक मेडिकल अधिकारी सख्त करवायी की बात पिछले कई सालो से कहते आ रहे है लेकिन साहब दफ्तर से आज तक कार्यवाही के लिए नहीं निकले।
अमरपुर में चांदनी दवाखाना क्लिनिक खोल कर इन्द्रजीत मंडल जो रहने वाले कलकत्ता के है जो पिछले 7 सालो से अमरपुर बस स्टैंड के पास क्लिनिक खोल कर बिमारो को ड्रिप लगाते कैद हुए। इनके पास न डिग्री है न डिप्लोमा लेकिन स्वास्थ्य अधिकारियो की खुली छूट है। दुसरे झोला छाप केवल अमरपुर बाजार के दिन है एक टेबिल और एक पर्दा लगाकर ही अपना क्लिनिक खोल ग्रामीणों का इलाज करते है। इनके पास तमाम तरह के अंग्रेजी इंजेक्शन रहते है चाहे शरीर का दर्द हो या बुखार बस एक ही इलाज इंजेक्शन ?
वैसे तो झोला छाप डाक्टरों के बारे में अमरपुर ब्लाक के बी एम् ओ को सब पता है। कहा और कितने झोलाछाप डाक्टर है और ये बीमार ग्रामीणों के साथ किस तरह से बर्ताव करते है। लेकिन महोदय कार्यवाही के लिए कब दफ्तर से निकलेंगे इसका मुहर्त नहीं बता पाए। जैसे हाल अमरपुर के है वैसे पूरे जिले के भी लेकिन झोलाछाप डाक्टरों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही हा न होना स्वास्थ्य महकमे की मिली भगत की और इशारा कर रहा है।
@दीपक नामदेव