डिंडोरी- मध्य प्रदेश के डिंडोरी जिले में इस समय मौसमी बीमारी ने अपने पैर पसार रखे हैं। ग्रामीण इलाकों में सबसे अधिक पीड़ित सामने आ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग बीमारी में नियंत्रण पाने के दावे जरूर कर रहा है। लेकिन वास्तविक स्थिति में पीडितों तक उपचार नहीं पहुंच पा रहा है। स्वास्थ्य संस्थाओं से लगे गावों में स्थिति बदतर है।
यहां पर अमला पहुंच नहीं पाता है। गांव के गांव बीमार हैं। जिले के सभी विकासखण्ड में इस समय मलेरिया सहित अन्य मौसमी बीमारी ने पैर पसार रखे हैं। शाहपुरा, मेहंदवानी, समनापुर विकासखण्ड के गावों में ग्रामीणों की मौत तक हो चुकी है। समनापुर के दादरटोला की स्थिति तो इतनी दयनीय है कि यहां पर मरीजों को टोकनी में लाना पडता है।
समनापुर विकासखण्ड से लगे दादरटोला की स्थिति देखकर यहां के लोगों के नरकीय जीवन को समझा जा सकता है। गांव के हर घर में बीमार व्यक्ति हैं और यहां पर सडक सुविधा नहीं है। लिहाजा ग्रामीण टोकनी की कांवड बनाकर मरीजों को समनापुर तक ले जा रहे हैं। यहां यह दृश्य रोजाना की बात है और ग्रामीणों के पास इसके अलावा कोई चारा भी नहीं है।
गांव में एम्बुलेंस सुविधा पहुंच नहीं सकती है और बीमार लोगों को ले जाने के लिये इसी तरह इंतजाम करना पडता है। पुरूषों के अलावा महिलाओं को भी इस तरह कांवड में मरीजों को ढुलना पडता है। यहां से चार किलोमीटर पहुंचने के लिये इन कांवडियों को दो से तीन घण्टे लगते हैं। इस तरह मरीजों को ले जाते समय रास्ते में दम तक तोड चुके हैं।
हर समय में ग्रामीणों को इस तरह की सुविधा भी नहीं मिल पाती है कि कांवड उठाने के लिये लोग मौजूद हों। लिहाजा कुछ ग्रामीण तो मरीजों को पीठ पर ही लादकर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र तक का सफर तय करते हैं। गांव में अभी तक विभाग ने कोई प्रभावी कदम नहीं उठाये हैं जिस कारण यहां की स्थिति बिगड रही है।
इलाके के जनप्रतिनिधि भी पूरी स्थिति को लेकर चिंतित हैं और गावों में मूलभूत सुविधाओं की कमी के कारण चिकित्सकों के न पहुंचने को शासन की अनदेखी मान रहे हैं। खासकर विशेष पिछडी जनजाति बहुल इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं की अनदेखी हो रही है जिससे मलेरिया का प्रकोप बढ रहा है। यदि मैदानी अमला चाहे तो इन इलाकों में बीमारी नियंत्रित की जा सकती है।
वहीँ स्वास्थ्य अमला भी मान रहा है कि इलाके में मलेरिया का प्रकोप है। साथ ही दावा कर रहा है कि प्रभावित इलाकों में टीम तैनात कर उपचार किया जा रहा है वहीं दादरटोला में भी उपचार किये जाने का दावा किया जा रहा है लेकिन उनके दावों की पोल खोलती तस्वीरें भी सामने हैं। चिकित्सकों के अनुसार बैगा बहुल इलाकों में बीमारी का अधिक प्रकोप है।
जिले में इस समय संक्रामक बीमारियों ने पैर पसारे हुये हैं। ग्रामीण इलाकों से बडी संख्या में मरीज अस्पतालों का रूख कर रहे हैं। जनजातिय क्षेत्रों में मलेरिया और अन्य मौसमी बीमारियों का प्रकोप अधिक है। स्वास्थ्य अमला सक्रिय तब होता है जब संक्रमण बढ जाता है। पहले से रोकथाम के कोई प्रयास नहीं किये जाते हैं। सबसे अधिक समस्या दादरटोला जैेसे गांव में है। जहां आज भी लोग आदमयुग में जीने को मजबूर हैं।
रिपोर्ट- @दीपक नामदेव